शांत राज्य कहा जाने वाला हिमाचल नशे की आग में सुलग रहा है और आंकड़े इस बात की गवाही दे रहे हैं... हिमाचल के उज्ज्वल भविष्य के सितारे नशे की गर्त में डूबते जा रहे हैं. नशे का दानव शहरों कस्बों से होता गांवों तक पहुंच गया है. देश की रक्षा के लिए सैनिक तैयार करने वाले प्रदेश की जवान जड़ों को चिट्टा, चरस, और कैमिकल नशा खोखला कर रहा है..
आलम ये है कि लाहौल स्पीति को छोड़कर प्रदेश का हर जिला संवेदनशील हो गया है.. सरकारी आंकडों के मुताबिक साल 2018 में नशा तस्करी के 3,360 मामले सामने आए हैं और 5 सालों में नशा तस्करी के मामलों में 300 फीसदी बढ़ोतरी हुई है.
नशे की आग में सुलग रहा हिमाचल प्रदेश के पांच जिलों में नशे का काला कारोबार ज्यादा तेजी से बढ़ रहा है. ये जिले हैं कांगड़ा, ऊना, सिरमौर, शिमला और कुल्लू. ऊना कांगड़ा और सिरमौर बॉर्डर के साथ लगते जिलें हैं..यहां बाहरी नशा माफिया के हौसले ज्यादा बुलंद हैं. यहां के हालातों का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इन जिलों में नशे के ओवरडोज से कई मौतें हो चुकी हैं.क्षेत्रफल के लिहाज से छोटे जिले ऊना पर अगर नजर डालें तो यहां पर चिट्टे का चलन ज्यादा है..सिर्फ चिट्टा तस्करी के केसिज पर ध्यान दें तो जनवरी 2018 से लेकर जून 2019 तक पुलिस ने 54 मामले दर्ज किए हैं और इस साल जुलाई तक नशे के ओवरडोज से दो युवकों की जान जा चुकी है. वहीं कांगड़ा जिला में 2018 में नशा तस्करी के 270 मामले रजिस्टर्ड हुए जिसमें 42 महिलाओं समेत 311 लोगों को जेल हुई.. इसमें 285 हिमाचली तो 26 लोग बाहरी राज्यों के थे..बात उतराखंड की सीमा से लगते शिमला जिला की करें तो 2018 में NDPS एक्ट के तहत कुल 1341 मामले दर्ज किये गए.. जिसमे करीब 470 किलोग्राम चरस और 8 किलो हेरोइन बरामद की गई है...वहीं 2017 में 1010 नशा तस्करी मामले दर्ज किए गए थे.सिरमौर जिला की बात करें तो यहां 3 राज्यों के साथ सटा पांवटा साहिब क्षेत्र सबसे ज्यादा प्रभावित है. वहीं हरियाणा से सटे कालाअंब के रास्ते भी नशा तस्करी से इंकार नहीं किया जा सकता. 2019 में पुलिस अब तक 30 बड़े मामलों का खुलासा कर चुकी है, जिसमें ज्यादातर नशीली दवाएं शामिल है..चरस के लिए दुनिया भर में कुख्यात कुल्लू जिला की बात करें तो 2018 में यहां पर 62 मामलों में 67 किलो से ज्यादा चरस पकड़ी गई थी और वहीं इस साल 30 मई तक ही 65 मामलों में 39 किलोग्राम चरस पकड़ी जा चुकी है.एक अनुमान के मुताबिक पूरे प्रदेश में पिछले दो सालों में ही नशे का कारोबार दोगुना हो चुका है और इन पांच जिलों में स्थिति ज्यादा चिंताजनक है. हालांकि प्रदेश में फैलते नशे को रोकने के लिए पुलिस प्रशासन और सरकार कई प्रयास कर रही है लेकिन अगर नशे के काले साये से 'हिमाचल को बचाना' है तो हिमाचल के हर व्यक्ति को आगे आना होगा..