शिमलाः समूचा विश्व इस समय कोविड-19 महामारी से जूझ रहा है. ऐसे समय में विश्व की नजरें भारतीय वैज्ञानिकों व डॉक्टर्स पर भी टिकी हुई हैं. भारत देश को इस महामारी के संकट से बचाने के लिए डॉक्टर्स और विशेषज्ञों की कई टीमें दिन-रात मेहनत कर रही हैं. ऐसी ही एक महत्वपूर्ण टीम को लीड कर रहे हैं, हिमाचल के निवासी डॉ. विनोद पॉल.
डॉ. विनोद पॉल जिला कांगड़ा के देहरा के रहने वाले हैं. वे इस समय नीती आयोग के सदस्य हैं. केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने उन्हें बड़े डॉक्टर्स और वैज्ञानिकों सहित पब्लिक हैल्थ से जुड़े 21 लोगों की तकनीकी टीम का प्रमुख बनाया है.
केंद्र सरकार ने डॉ. विनोद पॉल को जो प्रमुख जिम्मेदारी सौंपी है, उसके मुताबिक उन्हें जनता में जागरुकता फैलाने के तरीके विकसित करने के साथ ही महामारी को रोकने की गाइडलाइन तैयार करना है.
डॉ. पॉल की अगुवाई में वैज्ञानिकों की टीम ने कई अहम काम किए हैं. यही कारण है कि देश ने कम्यूनिटी स्प्रैड को काफी हद तक थाम लिया है. डॉ. पॉल महामारी को रोकने के लिए गठित टेक्निकल टीम के हैड भी हैं डॉ. पॉल के पास चिकित्सा जगत में काम करने का विशाल अनुभव है
कुछ ऐसा रहा है डॉ. पॉल का चिकित्सा क्षेत्र में जीवन
डॉ. विनोद पॉल खुद चिकित्सा जगत के बड़े हस्ताक्षर हैं और उन्हें भारत में हैल्थ साइंस रिसर्च के सबसे बड़े सम्मान डॉ. बीआर अंबेडकर सेंटेनरी अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है. इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च की तरफ से दिया जाने वाला ये सम्मान देश का सर्वोच्च रिसर्च सम्मान है. डॉ. पॉल को वर्ष 2009 के लिए ये सम्मान मिला था.
एम्स दिल्ली में दे चुके हैं सेवाएं
डॉ. पॉल बाल रोग विशेषज्ञ हैं और तीन दशक तक देश के सबसे बड़े चिकित्सा संस्थान इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज यानी एम्स दिल्ली में सेवाएं दे चुके हैं.वे एम्स दिल्ली के पीडियाट्रिक्स डिपार्टमेंट के एचओडी भी रहे हैं.