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PM के अटल टनल के उद्घाटन के लिए आने पर संशय, फाइनल नहीं दौरा - PM के अटल टनल के उद्घाटन

प्रधानमंत्री के अटल रोहतांग सुरंग के उद्घाटन के लिए प्रस्तावित मनाली दौरे पर संशय बना हुआ है. पूर्व में यह दौरा 27 सितंबर को प्रस्तावित था, लेकिन अब सीएम जयराम ठाकुर ने कहा है कि अभी तारीख फाइनल नहीं हुई है. पीएम के खुद प्रदेश में आने के लिए सरकार ने आग्रह किया है, लेकिन सारी परिस्थितियों के बाद पीएम मोदी ही अंतिम निर्णय लेंगे.

PM Modi's manali visit
PM Modi's manali visit

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Published : Sep 15, 2020, 9:35 PM IST

शिमला: दुनिया की सर्वाधिक ऊंचाई पर बनी अटल रोहतांग सुरंग बनकर तैयार है और इसी महीने के आखिर में इसे जनता को समर्पित किया जाना है. इस सुरंग के उद्घाटन के लिए पीएम नरेंद्र मोदी का इस महीने के आखिरी सप्ताह में हिमाचल दौरा प्रस्तावित है.

प्रधानमंत्री के अटल रोहतांग सुरंग के उद्घाटन के लिए प्रस्तावित मनाली दौरे पर संशय बना हुआ है. पूर्व में यह दौरा 27 सितंबर को प्रस्तावित था, लेकिन अब सीएम जयराम ठाकुर ने कहा है कि अभी तारीख फाइनल नहीं हुई है.

सीएम जयराम ने कहा कि हम चाहते हैं कि पीएम मोदी उद्घाटन के लिए खुद आएं. उनसे खुद प्रदेश में आने के लिए सरकार ने आग्रह किया है, लेकिन सारी परिस्थितियों के बाद पीएम मोदी ही अंतिम निर्णय लेंगे.

उन्होंने कहा कि वर्चुअल माध्यम से उद्घाटन की बजाए एक्चुअल माध्यम से उद्घाटन की प्राथमिकता रहेगी. सीएम जयराम ठाकुर ने कहा कि इस महीने उद्घाटन नहीं हो पाया तो अगले महीने के पहले सप्ताह का भी प्लान रहेगा.

वीडियो.

160 साल पुराना सपना होगा साकार

देश के इंजीनियरों और मजदूरों की दस साल की कड़ी मेहनत के बाद तैयार रोहतांग अटल सुरंग उद्घाटन के लिए तैयार है. करीब 160 साल पुराना सपना अब मूर्त रूप लेने जा रहा है.

सुरंग का डिजाइन तैयार करने वाली ऑस्ट्रेलियाई कंपनी स्नोई माउंटेन इंजीनियरिंग कंपनी (एसएमईसी) के वेबसाइट के मुताबिक रोहतांग दर्रे पर सुरंग बनाने का पहला विचार 1860 में मोरावियन मिशन ने रखा था. समुद्र तल से 3,000 मीटर की ऊंचाई पर 1,458 करोड़ रुपये की लगात से बनी दुनिया की यह सबसे लंबी सुरंग लद्दाख को साल भर संपर्क सुविधा प्रदान करेगी.

हालांकि, देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के कार्यकाल में भी रोहतांग दर्रे पर 'रोप-वे' बनाने का प्रस्ताव आया था. बाद में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सरकार में मनाली और लेह के बीच सालभर कनेक्टिविटी देने वाली सड़क के निर्माण की परियोजना बनी, लेकिन इस परियोजना को मूर्त रूप प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में मिला.

उन्होंने वर्ष 2002 में रोहतांग दर्रे पर सुरंग बनाने की परियोजना की घोषणा की. बाद में वर्ष 2019 में वाजपेयी के नाम पर ही इस सुरंग का नाम 'अटल सुरंग' रखा गया. इसके निमार्ण कार्य में एक दशक से अधिक वक्त लगा. पूर्वी पीर पंजाल की पर्वत श्रृंखला में बनी यह 9.02 किलोमीटर लंबी सुरंग लेह-मनाली राजमार्ग पर है.

यह करीब 10.5 मीटर चौड़ी और 5.52 मीटर ऊंची है. सुरंग के भीतर किसी कार की अधिकतम रफ्तार 80 किलोमीटर प्रतिघंटा हो सकती है. यह सुरंग मनाली को लाहौल और स्पीति घाटी से जोड़ेगी. इससे मनाली-रोहतांग दर्रा-सरचू-लेह राजमार्ग पर 46 किलोमीटर की दूरी घटेगी और यात्रा समय भी चार से पांच घंटा कम हो जाएगा.

सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है यह टनल

यह टनल सामरिक दृष्टि से भी अति महत्वपूर्ण भुमिका निभाएगी. लद्दाख क्षेत्र में सैन्य आवाजाही के लिए सालभर उपयोग करने लायक रास्ता उपलब्ध कराएगा. घोड़े के नाल के आकार की इस सुरंग ने देश के इंजीनियरिंग के इतिहास में कई कीर्तिमान रचे हैं और बहुत से ऐसे काम है जिन्हें पहली बार इस परियोजना में अंजाम दिया गया.

इस एकल सुरंग में डबल लेन होगी. यह समुद्र तल से 10,000 फीट या 3,000 मीटर की ऊंचाई पर बनी दुनिया की सबसे लंबी सुरंग है. साथ ही यह देश की पहली ऐसी सुरंग होगी जिसमें मुख्य सुरंग के भीतर ही बचाव सुरंग बनायी गयी है.

यह पहली ऐसी सुरंग है जिसमें रोवा फ्लायर प्रौद्योगिकी का उपयोग किया गया है. यह प्रौद्योगिकी विपरीत स्तर पर इंजीनियरों को काम करने में सक्षम बनाती है. इस सुरंग के निर्माण में करीब 150 इंजीनियरों और 1,000 श्रमिकों को काम में लगाया गया था.

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