शिमला: कोरोना संकट की घड़ी में जहां पूरा देश कोरोना वॉरियर्स का खास की सुरक्षा को लेकर सारा देश चिंतित है और उनके सुरक्षा के लिए विशेष प्रबंध किए हैं, जिसमे पीपीई किट, एन 95 मास्क, ग्लव्स, शील्ड कवर दिए जा रहे हैं. वहीं, शिमला में कोरोना संक्रमित मरीज या कोरोना संक्रमित मरीज से सीधा सामना करने वाले डॉक्टरों की सुरक्षा राम भरोसे है.
आईजीएमसी शिमला की ही बात करें तो, गेट पर लगाए गए स्क्रीनिंग काउंटर में बैठे डॉक्टर बिना पीपीई किट के ही बिठा दिए हैं और साधारण मास्क ही दिए गए है. हर रोज सैकड़ों मरीज आईजीएसमी में अपना पंजीकरण करवाते हैं, अगर कोई कोरोना संक्रमित मरीज पंजीकरण करवाने आजाए तो चिकित्सक भी मुश्किल में पड़ सकते हैं.
शोघी क्षेत्र में भी स्वास्थ्य विभाग व राजस्व के 30 के करीब कर्मचारी बिना पीपीई किट के सेवाएं दे रहे हैं. यहां पर सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि यह कर्मचारियों उन लोगों की जांच कर रहे हैं, जो बाहर के क्षेत्रों से आ रहे हैं. हालांकि बाहर से आ रहे लोगों में से जिला शिमला में सात लोग अभी तक कोरोना पॉजिटिव भी पाए गए हैं.
इन सभी कोरोना पॉजिटिव लोगों की जांच भी इन्हीं कर्मचारियों ने की है, जितने भी लोग बाहर से आ रहे हैं, शोघी में बिना पीपीई किट के ये कर्मचारी उनकी जांच कर रहे हैं. यहां पर विभाग व प्रशासन की लापरवाही कभी भी भारी पड़ सकती है. बताया जा रहा है कि यह कर्मचारी जब ड्यूटी के बाद वापस घर जाते हैं, तो वे परिवार के बीच जाते है. इसके साथ ही वह सब्जि व अन्य चिजों को लेने भी बाजार भी जाते हैं. अगर आगामी दिनों में इन कर्मचारियों में से कोई व्यक्ति कोरोना संक्रमित पाया गया तो, यहां पर लापवाही भारी पड़नी तय है.
कर्मचारियों को अपना परिवार बचाना भी इस स्थिति में मुश्किल हो गया है. लोगों के विभाग व प्रशासन पर यह सवाल उठने शुरू हो गए हैं कि अगर कोरोना से निपटने के लिए पुख्ता इंतजाम हैं, तो क्यों नहीं इन कर्मचारियों को पीपीई किट दी जा रही है. जिस प्रकार से इन कर्मचारियों को पीपीई किट नहीं दी जा रही है, उससे तो यह भी साफ जाहिर है कि विभाग व सरकार ने कम मात्रा में ही किटें खरीदी होंगी.
12 मार्च से कोरोन योद्धा दे रहे हैं लगातार सेवाएं