शिमला: देशभर में आज दिवाली का त्योहार मनाया जा रहा है. आज दिवाली के त्योहार पर जहां, दीपों से घर जगमग करेंगे, लोग आपस में मिठाइयां बांटकर खुशियां मनाएंगे. वहीं, दिवाली के दिन लोग खूब पटाखे और आतिशबाजी चलाते हैं, लेकिन ज्यादा पटाखे और आतिशबाजी चलाने से एयर पॉल्यूशन होता है. जिससे कई तरह की खतरनाक बीमारियां होती हैं. खासकर बच्चों, बुजुर्गों और सांस के मरीजों के लिए बेहद हानिकारक रहती हैं. वहीं, ग्रीन पटाखों के इस्तेमाल से इस समस्या को काफी हद तक कम किया जा सकता है.
एयर पॉल्यूशन की समस्या: आईजीएमसी शिमला के डिप्टी एमएस व विशेषज्ञ डॉक्टर प्रवीण एस भाटिया ने कहा कि दशहरे के बाद से दिवाली तक पटाखों और आतिशबाजियों का प्रचलन शुरू हो जाता है. ऐसे में एयर पॉल्यूशन काफी ज्यादा बढ़ जाता है. जिससे सांस संबंधी बीमारियां होती हैं. जिन लोगों को अस्थमा, फेफड़ों से संबंधित बीमारियां हैं, उन लोगों के लिए ये एयर पॉल्यूशन बहुत ही घातक सिद्ध होता है.
ग्रीन पटाखों का इस्तेमाल: डॉक्टर प्रवीण एस भाटिया ने कहा कि सरकार द्वारा इस बार दिवाली पर पटाखों और आतिशबाजी चलाने के लिए समय निर्धारित किया गया है. इसके साथ ही पटाखे बेचने के लिए भी स्थान निर्धारित किए गए हैं. उन्होंने कहा कि दिवाली पर दुर्घटनाओं पर रोक लगाने के लिए सरकार का बेहतरीन कदम है. वहीं, सरकार द्वारा ग्रीन पटाखों को प्रमोट किया गया है. ग्रीन पटाखों से पॉल्यूशन कम होता है. उन्होंने कहा कि लोगों को भी इस बार ग्रीन पटाखों का ही इस्तेमाल करना चाहिए.
ध्वनि प्रदूषण का कारण: डॉक्टर प्रवीण एस भाटिया ने अस्थमा, सांस की बीमारी और अन्य स्वास्थ्य संबंधी बीमारी वाले लोगों को प्रदूषण से बचना चाहिए और पटाखों से दूरी बनानी चाहिए. उन्होंने कहा कि ये लोगों ऑक्सीजन कंसंट्रेटर साथ में रखें और जरूर पड़ने पर इससे ऑक्सीजन लें. वहीं, ध्वनि प्रदूषण पर डॉक्टर ने कहा कि बड़े-बड़े धमाकों वाले पटाखों से कानों पर भी असर पड़ता है. जिससे सुनने की क्षमता प्रभावित होती है. उन्होंने कहा कि सरकार भी लोगों से अपील कर रही है कि जोर के धमाकों वाले पटाखों का इस्तेमाल करने से बचें और अच्छे से दिवाली मनाएं.