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Diwali 2023: दीपावली सेहत वाली, दिवाली की उमंग ग्रीन पटाखों के संग, स्किन बर्न होने पर भूलकर भी न करें ये काम - हिमाचल प्रदेश

Green Fire Crackers: आज 12 नवंबर को देशभर में दिवाली उत्सव की धूम है. लोग आपस में मिठाइयां बांटकर खुशियां मना रहे हैं. वहीं, दिवाली के पहले से ही जमकर पटाखे चलना शुरू हो गए हैं. इससे एयर पॉल्यूशन बढ़ रहा है और कई खतरनाक बीमारियां होने का खतरा है. ऐसे में इस बार सरकार और डॉक्टरों ने लोगों से ग्रीन पटाखे चलाने का आग्रह किया है.

Diwali 2023
दिवाली 2023

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Nov 12, 2023, 10:11 AM IST

Updated : Nov 12, 2023, 9:27 PM IST

शिमला: देशभर में आज दिवाली का त्योहार मनाया जा रहा है. आज दिवाली के त्योहार पर जहां, दीपों से घर जगमग करेंगे, लोग आपस में मिठाइयां बांटकर खुशियां मनाएंगे. वहीं, दिवाली के दिन लोग खूब पटाखे और आतिशबाजी चलाते हैं, लेकिन ज्यादा पटाखे और आतिशबाजी चलाने से एयर पॉल्यूशन होता है. जिससे कई तरह की खतरनाक बीमारियां होती हैं. खासकर बच्चों, बुजुर्गों और सांस के मरीजों के लिए बेहद हानिकारक रहती हैं. वहीं, ग्रीन पटाखों के इस्तेमाल से इस समस्या को काफी हद तक कम किया जा सकता है.

एयर पॉल्यूशन की समस्या: आईजीएमसी शिमला के डिप्टी एमएस व विशेषज्ञ डॉक्टर प्रवीण एस भाटिया ने कहा कि दशहरे के बाद से दिवाली तक पटाखों और आतिशबाजियों का प्रचलन शुरू हो जाता है. ऐसे में एयर पॉल्यूशन काफी ज्यादा बढ़ जाता है. जिससे सांस संबंधी बीमारियां होती हैं. जिन लोगों को अस्थमा, फेफड़ों से संबंधित बीमारियां हैं, उन लोगों के लिए ये एयर पॉल्यूशन बहुत ही घातक सिद्ध होता है.

ग्रीन पटाखों का इस्तेमाल: डॉक्टर प्रवीण एस भाटिया ने कहा कि सरकार द्वारा इस बार दिवाली पर पटाखों और आतिशबाजी चलाने के लिए समय निर्धारित किया गया है. इसके साथ ही पटाखे बेचने के लिए भी स्थान निर्धारित किए गए हैं. उन्होंने कहा कि दिवाली पर दुर्घटनाओं पर रोक लगाने के लिए सरकार का बेहतरीन कदम है. वहीं, सरकार द्वारा ग्रीन पटाखों को प्रमोट किया गया है. ग्रीन पटाखों से पॉल्यूशन कम होता है. उन्होंने कहा कि लोगों को भी इस बार ग्रीन पटाखों का ही इस्तेमाल करना चाहिए.

ध्वनि प्रदूषण का कारण: डॉक्टर प्रवीण एस भाटिया ने अस्थमा, सांस की बीमारी और अन्य स्वास्थ्य संबंधी बीमारी वाले लोगों को प्रदूषण से बचना चाहिए और पटाखों से दूरी बनानी चाहिए. उन्होंने कहा कि ये लोगों ऑक्सीजन कंसंट्रेटर साथ में रखें और जरूर पड़ने पर इससे ऑक्सीजन लें. वहीं, ध्वनि प्रदूषण पर डॉक्टर ने कहा कि बड़े-बड़े धमाकों वाले पटाखों से कानों पर भी असर पड़ता है. जिससे सुनने की क्षमता प्रभावित होती है. उन्होंने कहा कि सरकार भी लोगों से अपील कर रही है कि जोर के धमाकों वाले पटाखों का इस्तेमाल करने से बचें और अच्छे से दिवाली मनाएं.

पटाखों से कई तरह की बीमारियां: डॉ. प्रवीण का कहना है कि कई बार फुलझड़ी या अन्य पटाखों से बड़ों और बच्चों की त्वचा जल जाती है. इतना ही नहीं सांस के मरीजों को भी पटाखे जलने से निकलने वाले धुएं से काफी नुकसान पहुंचता है. ऐसे में पटाखों को भीड़-भाड़ वाली जगहों और घर से दूर ही जलाएं. पटाखों की आवाज से दिल के मरीजों को भी परेशानी हो सकती है. पटाखे जलाते समय इन बातों का जरूर ध्यान रखें, ताकि खुशियों की दिवाली किसी के लिए नुकसानदायक न हो.

स्किन बर्न होने पर इन बातों का रखें खास ख्याल: डॉ. प्रवीण ने कहा कि अगर पटाखों से त्वचा जल जाती है तो कुछ बातों का खास ध्यान रखना चाहिए. त्वचा के जल जाने पर कई लोग जलन से बचने के लिए बर्फ का सहारा लेते हैं. बर्फ की सिकाई से जलन खत्म हो जाएगी, लेकिन बर्फ उस स्थान पर खून को जमा सकती है, जिससे आपका रक्त संचार प्रभावित हो सकता है. बर्फ की सिकाई करने पर फफोले पड़ने की संभावना कम नहीं होती, बल्कि इससे आपकी परेशानी बाद में बढ़ सकती है. इसलिए सावधानी जरूर बरतें. कभी भी जले हुए स्थान पर कॉटन का प्रयोग, मक्खन या मलहम को तुरंत लगाने से बचें और फफोले पड़ने पर उन्हें फोड़ने की गलती बिल्कुल न करें. इससे संक्रमण फैल सकता है और तकलीफ बढ़ सकती है.

भूलकर भी न करें ये काम: पटाखों के कारण अत्यधिक जल जाने पर घर पर उपचार आजमाने के बजाए तुरंत पीड़ित को अस्पताल लेकर जाएं. जले हुए स्थान पर अगर कोई कपड़ा चिपका हुआ हो तो उसे उतारें नहीं, इससे त्वचा के निकलने का खतरा होता है. अत्यधिक जले हुए मरीज को एक साथ पानी मत दीजिए, बल्कि ओआरएस का घोल पिलाइए, क्योंकि जलने के बाद आदमी की आंत काम करना बंद कर देती है और पानी सांस नली में फंस सकता है, जो कि जानलेवा हो सकता है.

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Last Updated : Nov 12, 2023, 9:27 PM IST

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