शिमला: राजधानी शिमला के गेयटी थिएटर में तीन दिवसीय फिल्म फेस्टिवल का आयोजन किया गया. इस दौरान भारत समेत अन्य देशों की 10 फिल्मों को दिखाया गया. वहीं, डॉक्यूमेंट्री के तौर पर मनोज बाड़कया द्वारा निर्देशित मोटिवेशनल स्टोरी स्क्रीन पर लगते ही दर्शक शुरुआत से ही कहानी से जुड़ गए. मनोज बाड़कया ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल शिमला में एक महिला की कहानी को दिखाया गया है कि किस प्रकार से उसने अपनी जिंदगी का संघर्ष किया है.
एक्सीडेंट ने तोड़ा सपना: मनोज बाड़कया ने बताया कि 36 मिनिट की यह कहानी आईएएस बनने की चाह रखने वाली श्रुति की है. जिसने 20 साल की उम्र में यूपीएससी परीक्षा पास की थी. इसके अलावा भी श्रुति ने एक एग्जाम और क्लियर किया. जिसके लिए वह इंटरव्यू की तैयारी कर रही थी, लेकिन इंटरव्यू से कुछ दिन पहले ही कार एक्सीडेंट में उसकी रीढ़ की हड्डी टूट गई. खुद को कुछ दिन बाद एक पद पर देखने वाली लड़की अब व्हीलचेयर पर आ गई थी.
आपदा को अवसर में बदला:श्रुति ने अपने जीवन की सबसे बड़ी बाधा को अवसर में बदलने का साहस जुटाया. श्रुति ने व्हील चेयर पर बैठकर ही छात्रों के लिए मोटिवेशनल स्पीच देनी शुरू की और उनकी दी स्पीच से आज कई स्टूडेंट्स प्रतिष्ठित पदों पर बैठे हैं. डायरेक्टर मनोज का कहना है कि उन्होंने इस डॉक्यूमेंट्री को डेढ़ महीने में तैयार किया. जिसे लोग काफी पसंद कर रहे हैं.