शिमला: जब बात कुछ कर दिखाने की हो तो बड़ी से बड़ी चुनौती भी आडे़ नहीं आती है. ऐसा ही कुछ मंडी की अंजना ठाकुर ने कर दिखाया है. दिव्यांगता को अपने लिए अंजना ने शाप नहीं बनने दिया और कड़ी मेहनत से अपने सपने को पूरा किया. दरअसल एक दुर्घटना में बीपीएल परिवार की बेटी अंजना ठाकुर ने अपना दायां हाथ गंवा दिया था. अंजना उस दौरान कॉलेज की पढ़ाई कर रही थी.
दिव्यांग अंजना बनी असिस्टेंट प्रोफेसर:मौजूदा समय में अंजना ठाकुर हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी से पीएचडी कर रही है. अंजना ने दिव्यांगता के बावजूद हिम्मत नहीं हारी और बाएं हाथ से लिखना शुरू कर दिया. अंजना की इस कड़ी मेहनत का फल भी उसे मिला और वह आज बॉटनी की असिस्टेंट प्रोफेसर बन गई है. एचपीयू के कुलपति प्रोफेसर एसपी बंसल ने बधाई देते हुए कहा कि अंजना का संघर्ष और सफलता सभी युवाओं के लिए प्रेरणा है.
बॉटनी की असिस्टेंट प्रोफेसर बनी: दिव्यांगों के लिए काम कर रही संस्था उमंग फाउंडेशन के अध्यक्ष और राज्य विकलांगता सलाहकार बोर्ड के विशेषज्ञ सदस्य अजय श्रीवास्तव ने बताया कि अंजना ठाकुर मंडी जिले के करसोग के गांव गोड़न की रहने वाली हैं. बेटी की इस सफलता से पिता हंसराज और माता चिंतादेवी की खुशी का ठिकाना न रहा है. राज्य लोक सेवा आयोग ने उसका चयन कॉलेज कैडर में बॉटनी की असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर किया है. आयोग ने बुधवार को परिणाम घोषित किया था.
पिछले साल भी हुई थी सम्मानित: इसके अलावा बीते साल एचपीयू में राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने अंजना ठाकुर को पूर्व छात्र सम्मेलन में उसकी उपलब्धियां के लिए सम्मानित भी किया था. अंजना की मां चिंतादेवी ने कहा कि उनकी बेटी ने इतनी बड़ी सफलता पाकर पूरे परिवार का नाम रोशन किया है. वहीं, बहन के लिए खुद की पढ़ाई कुर्बान करने वाले भाई गंगेश कुमार को भी अंजना पर गर्व है.