शिमला:हमारे देश में माना जाता है कि सियासत के गलियारों में संवेदनाओं का स्पेस न के बराबर दिखता है. राजनेताओं को अकसर जनता निष्ठुर हृदय मानती है, लेकिन जब अपवाद दिखते हैं तो कल्याणकारी राज्य की अवधारणा पर भरोसा बढ़ता है. हिमाचल प्रदेश में इन दिनों सियासी गलियारे की एक घटना और वीडियो खूब चर्चा में है. ये वीडियो सीधे-सीधे राज्य के मुखिया सुखविंदर सिंह के संवेदनशील चेहरे की गवाही दे रहा है. संघर्ष से सफलता का मंत्र जपने वाले सीएम सुखविंदर सिंह के भीतर का राजनेता सचमुच संवेदनशील है. इसकी गवाही एक वीडियो से मिलती है. हालांकि ये घटना पहले ही प्रदेश भर में चर्चा में है, लेकिन वीडियो रिकार्डिंग का सूक्ष्म अवलोकन करने से कल्याणकारी राज्य की अवधारणा पर भरोसा और बढ़ता है.
निराश्रित बेटी पहुंची सीएम के दरबार:दरअसल, कुल्लू जिले की एक निराश्रित बेटी अपने दर्द की पोटली बांध कर सरकार के दरबार में पहुंची. सीएम सुखविंदर सिंह शिमला में बैठकों में व्यस्त थे. कुल्लू से आई देवभूमि की बेटी अपना दर्द राज्य के मुखिया को सुनाना चाहती थी. उसके पास आश्रय नहीं था. यानी सिर पर छत्त नहीं थी और न ही इस संसार में उसका कोई और नातेदार है. कल्याणकारी राज्य में मुख्यमंत्री न केवल सरकार का मुखिया होता है, बल्कि उसके कंधे पर सारे राज्य की सुख-सुविधा और कल्याण की जिम्मेदारी होती है.
ठंड से कांप रही थी, सीएम ने शॉल ओढ़ाई फिर सुना दर्द: बुधवार देर रात की बात है. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सचिवालय में बैठकों से फारिग हो गए थे. इसी बीच, सर्दी में कांपती कुल्लू की लड़की ने उनके समक्ष अपना दर्द बताया. चूंकि सर्दी बहुत थी, लिहाजा लड़की कांप रही थी. सीएम सुखविंदर सिंह ने पहले तो उसे शॉल ओढ़ाया और फिर उसकी व्यथा सुनी. लड़की ने बताया कि वो 27 साल की हो चुकी है. बालिका आश्रम में केवल 26 साल तक की आयु की लड़कियों के ही ठहरने का नियम है.