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बेसहारा गौवंश को समय सीमा पर नहीं मिली छत, HC ने सरकार से मांगा जवाब

हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिए हैं कि इस बारे में शपथ पत्र दाखिल किया जाए कि बेसहारा पशुओं के लिए गौ सदन बनाने और अभ्यारण्य तैयार करने का काम कहां तक पहुंचा इसके बारे में विस्तार से बताया जाए.

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Published : Nov 8, 2019, 3:00 PM IST

बेसहारा गौवंश को समय सीमा पर नहीं मिली छत्त, HC ने सरकार से मांगा जवाब

शिमला: प्रदेश में सड़कों पर भटकने को मजबूर बेसहारा गौवंश को गौ सदनों के माध्यम से छत व आहार देने के लिए हाईकोर्ट ने दिसंबर 2014 की समय सीमा तय की थी. इसी मामले में हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान सरकार से पूछा कि बेसहारा गौवंश की सुरक्षा व उन्हें गौ सदनों तक लाने के लिए अब तक क्या उपाय किए गए हैं.

हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिए हैं कि इस बारे में शपथ पत्र दाखिल किया जाए कि बेसहारा पशुओं के लिए गौ सदन बनाने और अभ्यारण्य तैयार करने का काम कहां तक पहुंचा. इसके बारे में विस्तार से बताया जाए. मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एल.नारायण स्वामी और न्यायमूर्ति धर्मचंद चौधरी की खंडपीठ मामले की सुनवाई कर रही है. इस संदर्भ में भारतीय गौवंश रक्षण परिषद हिमाचल प्रदेश ने याचिका दाखिल की है. याचिका में आरोप लगाया गया है कि हिमाचल में सडक़ों पर बड़ी संख्या में बेसहारा गौवंश भटक रहा है.

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राज्य में सड़कों पर करीब 32 हजार बेसहारा मवेशी हैं. खंडपीठ ने राज्य सरकार से कहा कि सर्दियों के इस मौसम को ध्यान में रखते हुए नेशनल हाईवे से बेसहारा गौवंश को हटाया जाए. इसके लिए कुछ कदम तत्काल उठाए जाने की जरूरत है. मामले की सुनवाई के दौरान सामने आया कि राज्य सरकार ने बेसहारा गौवंश के लिए हिमाचल प्रदेश गौवंश संरक्षण व संवर्धन अधिनियम-2018 बनाया है. इस अधिनियम में प्रदेश के सभी जिलों में गौ सेंक्चुरी स्थापित की जाएंगी. इसके लिए सरकार ने जिला सिरमौर, सोलन, ऊना व हमीरपुर में सेंक्चुरी के लिए उचित राशि जारी की है.

हाईकोर्ट ने पूर्व में सुनवाई के दौरान सरकार को आदेश जारी किए हैं कि गौ सदनों में उपचार के अलावा चारे आदि की पर्याप्त सुविधा सुनिश्चित की जाए. पशु अभ्यारण में विपरीत मौसम के लिए उचित शेड बनाया जाए. अदालत ने राज्य सरकार को आदेश दिए हैं कि वो आम जनता को भी जागरूक किया जाए, ताकि लोग पशुओं के लिए चारा दान करें.

बता दें कि वर्ष 2014 में हाईकोर्ट के तत्कालीन न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजीव शर्मा व न्यायमूर्ति सुरेश्वर ठाकुर की खंडपीठ ने भारतीय गौवंश रक्षण परिषद हिमाचल प्रदेश की याचिका पर राज्य सरकार को आदेश दिए थे कि प्रदेश की सभी सड़कों को 31 दिसंबर 2014 तक बेसहारा पशुओं से मुक्त करें. अदालत ने राज्य सरकार, नगर परिषद, नगर पंचायत, नगर पालिका और ग्राम पंचायतों को ऐसे पशु धन के लिए गौसदन स्थापित करने के आदेश जारी किए थे. साथ ही हाईकोर्ट ने समूचे प्रदेश में गौ मांस की बिक्री पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया था.

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