शिमला:कोविड 19 की वैश्विक महामारी से बचाव के लिए ज्यादा से ज्यादा से मेडिकल इक्विपमेंट बनाने की जरूरत पड़ रही है. कोरोना के मामले देश और प्रदेश में बढ़ रहे है. ऐसे में कोरोना से संक्रमित लोगों के इलाज के लिए डॉक्टरों को पीपीई किट के साथ ही बेहतर चिकित्सीय किट ओर रोगियों की देखभाल में इस्तेमाल होने वाले उपकरणों की अधिक उपलब्धता की जरूरत है, लेकिन इसके लिए स्टॉफ की कमी पड़ रही है.
ऐसे में अब फार्मा कंपनियों में मैन पावर की कमी को पूरा करने के लिए और स्वास्थ्य के क्षेत्र की इन जरूरतों को पूरा करने के लिए अप्रशिक्षित युवाओं के लिए एक सुनहरा अवसर है. हिमाचल में कौशल विज्ञान कार्यक्रम के तहत 10+2 और स्नातक की पढ़ाई पूरी कर चुके युवाओं को जैव प्रौद्योगिकी आधारित उद्योगों में उपयोग किए जाने वाले उपकरणों को बनाने का प्रशिक्षण दिया जाएगा.
इस प्रशिक्षण के बाद इन युवाओं को फार्मा कंपनियों में रोजगार मिल सकेगा. साथ ही इन स्वास्थ्य उपकरणों को बनाने में वे दक्षता भी हासिल कर सकेंगे. इस प्रशिक्षण के लिए युवाओं को आवेदन करना होगा. मेरिट लिस्ट के आधार पर ही युवाओं का चयन किया जाएगा. प्रशिक्षण के लिए जमा 2 और ग्रेजुएशन पास योग्यता रखी गई है.
बता दें कि इस परियोजना को प्राप्त करने वाले छह राज्यों में से हिमाचल प्रदेश एक है और इसे लॉन्च करने वाला हिमाचल पहला राज्य बना है. इस कार्यक्रम को हिमाचल प्रदेश विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं पर्यावरण विभाग के सचिव रजनीश ने लॉन्च किया. इस कार्यक्रम के तहत हिमाचल के बहुत से युवाओं को रोजगार मिलेगा. साथ ही प्रशिक्षण के दौरान भत्ता भी दिया जाएगा.
प्रशिक्षण कार्यक्रम को लाइफ साइंसेज सेक्टर स्किल डेवलपमेंट काउंसिल (एलएसएसएसडीसी) और राज्य के आठ प्रमुख अकादमिक अनुसंधान संस्थानों के सहयोग से दिया जाएगा. हिमाचल में ये प्रशिक्षण सीएसरआई पालमपुर, एचपीयू शिमला, सीपीआरआई शिमला, शूलिनी यूनिवर्सिटी, जेपी यूनिवर्सिटी, एटर्नल यूनिवर्सिटी, हिमालयन स्किल डेवलोपमेन्ट सेंटर कालाअंब और बद्दी यूनिवर्सिटी में दिया जाएगा.
कार्यक्रम के तहत तीन ट्रेड्स में प्रशिक्षण