शिमला: राजधानी में हुए स्कूल बस हादसे के बाद लोग अपने बच्चों को स्कूल भेजने से भी घबरा रहे हैं. शिमला में अधिकतर निजी स्कूलों के पास अपनी बसें नहीं है. ऐसे में लोगों को जो सरकारी बसें बच्चों को लेने के लिए आती हैं, उन्ही में या फिर टैक्सियों के माध्यम से ही स्कूल भेजना पड़ता है. इन गाड़ियों में ओवरलोडिंग कर बच्चे भरे जाते हैं, जिससे हर समय हादसे का डर बना रहता है.
स्कूल बस हादसे से सहमे शिमलावासी, सरकार और पुलिस प्रशासन से लगा रहे गुहार
शिमला स्कूल बस हादसे के बाद शहर में सरकार और शिक्षा विभाग के खिलाफ लोगों में खासा रोष है. लोगों की मांग है कि निजी स्कूल छात्रों के लिए अपनी बसें चलाएं. शिमला के लोग चाहते हैं कि उनके बच्चों को स्कूल पहुंचाने के लिए सुरक्षित व्यवस्था की जाए. लोगों की मांग है कि निजी स्कूलों के पास अपनी बसें नहीं है और सरकारी बसों में बच्चे स्कूल पहुंचाए जा रहे हैं. इन बसों में ज्यादातर बसें 10 साल से ज्यादा पुरानी हैं. बसों की इंश्योरेंस भी खत्म हो चुकी है और बावजूद इसके बसों में मासूम बच्चों को सफर करवाया जा रहा है.
ऐसे में अब लोग यह मांग उठा रहे हैं कि बच्चों के लिए निजी स्कूल अपनी बसें चलाएं. शिमला के लोग चाहते हैं कि उनके बच्चों को स्कूल पहुंचाने के लिए सुरक्षित व्यवस्था की जाए. लोगों की मांग है कि निजी स्कूलों के पास अपनी बसें नहीं है और सरकारी बसों में बच्चे स्कूल पहुंचाए जा रहे हैं. इन बसों में ज्यादातर बसें 10 साल से ज्यादा पुरानी हैं. बसों की इंश्योरेंस भी खत्म हो चुकी है और बावजूद इसके बसों में मासूम बच्चों को सफर करवाया जा रहा है.
लोगों का कहना है कि शिमला शहर में पार्किंग की समस्या के चलते गाड़ियां सड़कों के किनारे पार्क की जाती है. पहले ही सड़कें तंग है और दूसरी ओर दोनों तरफ वाहन खड़े होने से सड़कें और तंग हो जाती है, जिसकी वजह से हादसें होते हैं. लोगों की मांग है कि सरकार सरकार यातायात व्यवस्था को सुधारने के लिए कड़े कदम उठाए. शहरवासियों की मांग है कि शिमला पुलिस प्रशासन को भी इस ओर ध्यान देना चाहिए और सड़कों के किनारे पार्क की गई गाड़ियों को हटवाना चाहिए.