शिमला:हिमाचल प्रदेश मेंसेब सीजन अभी पूरी तरह से शुरू भी नहीं हुआ है और सरकार अपना एक फैसला रिव्यू करने जा रही है. दरअसल सरकार ने सेब किलो के हिसाब से बेचने का फैसला लिया है और यह भी तय किया है कि अधिकतम 24 किलो तक ही पेटी मंडियों में बेची जाएगी, लेकिन अब सरकार इस सीलिंग के फैसले को रिव्यू करने जा रही है. पूरी संभावना है कि सरकार अपने इस फैसले को पलटेगी. सरकार के इस फैसले को लेकर बागवान आशंका जता रहे हैं.
प्रदेश में सेब सीजन की शुरुआत भी पूरी तरह से नहीं हुई है. अभी अर्ली वैरायटी का टाइडमैन और रेडजून सेब मंडियों में पहुंच रहा है. अब अगले कुछ दिनों में रायल का सेब भी मंडियों में पहुंचने लगेगा. हिमाचल की मंडियों में सेब खरीदने के लिए इस बार नई व्यवस्था भी शुरू की गई है. अबकी बार किलो के हिसाब से सेब यहां की मंडियों में बेचा जा रहा है. यानी पहले जहां पेटियों के हिसाब से सेब के दाम तय होते थे वहीं, इस बार किलो के हिसाब से सेब की बोलियां मंडी में लग रही हैं. हालांकि इसके लिए सरकार ने सही व्यवस्था नहीं की है, यह भी साफ होने लगा है.
बागवानों को पेटियां भरने से पहले सेब को तोलना पड़ रहा है और फिर मंडियों भी आढ़ती इनका वजन कराकर बेच रहे हैं. इससे बागवानों की मुश्किलें बढ गई हैं. लेकिन किलो के हिसाब से सेब बेचने के फैसले से बागवानों का कुछ राहत जरूर मिली है, क्योंकि पहले पेटियों में 25 से 35 किलो तक सेब बेचा जा रहा था जबकि अबकी बार सेब की पेटी की पैकिंग की लिमिट 24 किलो तय की गई है.
24 किलो की लिमिट खत्म करने की कवायद शुरू: हिमाचल में सेब की पेटी के वजन की लिमिट अबकी बार 24 किलो तय की थी, हालांकि यह बात अलग है कि कुछ बागवान इससे अधिक वजन की पेटियां भी मंडियों में ला रहे हैं. इस बीच सरकार 24 किलो के वजन की सिलिंग हटाने पर विचार कर रही है. बताया जा रहा कि इसके लिए बागवानी विभाग जल्द बैठक कर इस बारे में फैसला करेगा. सरकार के इस फैसले को लेकर बागवानों में आशंका है. मौजूदा समय में मडियों में आने वाली पेटियों का वजन चाहे कितना भी क्यों न हो, बागवानों को 22 किलो के ही दाम दिए जा रहे हैं. मसलन अगर कोई बागवान 24 किलो वाली पेटी मंडी में ले जाता है तो इसका 2 किलो कार्टन का वजन काटा जा रहा है. अगर कोई बागवान 26 किलो वाली पेटी ले जाता है तो उसको 22 किलो के हिसाब से ही रेट मिल रहे हैं. बागवान इसकी शिकायत कर रहे हैं कि 22 किलो से अधिक सेब के दाम उनको नहीं दिया जा रहे. ऐसे में अगर सरकार सेब की पेटियों से सीलिंग हटा देती है तो यह भी हो सकता है कि उनको पूरे दाम न मिले.