शिमला: व्यवस्था परिवर्तन का दावा करने वाली कांग्रेस सरकार के लिए हमीरपुर कर्मचारी चयन आयोग का मसला गले की फांस बनता जा रहा है. भर्ती पेपर लीक होने और उनकी बिक्री का धंधा पकड़े जाने के बाद कांग्रेस सरकार ने बोर्ड को निलंबित कर दिया था. बोर्ड को निलंबित करने के बाद राज्य सरकार ने दो तरह की जांच बिठाई है. हिमाचल स्टेट विजिलेंस एंड एंटी करप्शन ब्यूरो ने अपनी प्रारंभिक जांच की रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है. वहीं, शिक्षा सचिव अभिषेक जैन ने अभी अपनी प्रशासनिक जांच की रिपोर्ट नहीं दी है. ऐसे में राज्य सरकार ये फैसला नहीं ले पा रही है कि कर्मचारी चयन आयोग को लेकर आगे क्या फैसला लेना है.
इस मसले को लेकर यदि सुखविंदर सिंह सरकार ने जल्द ही कोई निर्णायक फैसला नहीं लिया तो नौकरी की राह देख रहे युवाओं का गुस्सा फूट सकता है. इस समय कई नौकरियों को लेकर हमीरपुर कर्मचारी चयन आयोग में प्रकियाएं विभिन्न चरणों में हैं. जिन युवाओं ने प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर नौकरी का सपना देखा है, वे परेशान हैं. दरअसल, पूर्व की सरकार के समय भी कई भर्तियों की प्रक्रिया अदालतों में फंसी रही. ऐसे में शिक्षित बेरोजगार युवाओं के भीतर हताशा बढ़ रही है.
सत्ता में आने के बाद ही हमीरपुर कर्मचारी चयन आयोग में प्रतियोगी परीक्षा का पेपर लीक हो गया. सरकार ने भर्ती प्रक्रिया रद्द कर दी और 28 दिसंबर को चयन आयोग को निलंबित कर दिया. सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा था कि जिन नौकरियों के लिए युवाओं ने पूर्व में पेपर दिए थे या जिन का रिजल्ट प्रोसेस में था, उन पर सरकार जल्द फैसला लेगी, लेकिन अभी तक कोई निर्णय नहीं हुआ है. इस समय पेपर लीक मामले में कर्मचारी चयन आयोग की कर्मचारी उमा आजाद व अन्य आरोपी जांच के दायरे में हैं.
विजिलेंस ने अपनी प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में खुलासा किया है कि चयन आयोग में धांधली के तार बहुत दूर तक और बहुत सी परीक्षाओं से जुड़े हैं. वहीं, प्रशासनिक जांच अभी भी पूरी नहीं हुई है. ऐसे में सुखविंदर सिंह सरकार को चयन आयोग के निलंबन की स्थिति को लेकर जल्दी ही कोई निर्णय लेना होगा. कारण ये है कि आने वाले समय में यदि नौकरियों की प्रक्रिया तेजी से पूरी नहीं हुई तो युवा वर्ग आंदोलन भी कर सकता है.