शिमला:हिमाचल प्रदेश बुरी तरह से कर्ज के जाल में फंस गया है. यदि समय रहते सरकार ने आर्थिक संसाधन नहीं जुटाए तो राज्य डेब्ट ट्रैप से नहीं निकल पाएगा. हिमाचल सरकार पर वित्तीय वर्ष 2021-22 के अंत में में 68630 करोड़ रुपए का कर्ज था. इस कुल कर्ज में 45297 करोड़ रुपए मूल कर्ज था और 23333 करोड़ रुपए ब्याज के तौर पर था. हालत यह है कि ब्याज को चुकाने के लिए भी कर्ज लेना पड़ रहा है. हिमाचल विधानसभा के बजट सत्र में बुधवार को सदन के पटल पर रखी गई कैग रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि आगामी पांच साल के भीतर राज्य सरकार को 27,677 करोड़ रुपए का कर्ज चुकाना है.
हालांकि अब कर्ज का आंकड़ा बढ़ गया है, लेकिन वित्तीय वर्ष 2021-22 के कर्ज का आंकड़ा लें तो एक साल में ही कुल लोन का दस फीसदी यानी 6992 करोड़ एक साल में अदा करना है. ये गंभीर स्थिति है. यही नहीं, राज्य सरकार को अगले दो से पांच साल की अवधि में कुल लोन का चालीस फीसदी यानी 27677 करोड़ रुपए चुकाना है. इसके अलावा अगले पांच साल के दौरान यानी 2026-27 तक ब्याज सहित लोक ऋण अदायगी प्रति वर्ष 6926 करोड़ होगी. यदि इस अवधि में आय के अतिरिक्त साधन नहीं जुटाए गए तो अर्थव्यवस्था दबाव में आ जाएगी.
कैग रिपोर्ट में सरकार के खराब वित्तीय प्रबंधन की पोल भी खुली है. कैग रिपोर्ट में पाया गया है कि राज्य सरकार ने विगत वर्षों में विधायिका से स्वीकृत हुई बजट राशि से अधिक रकम खर्च की है. राज्य सरकार ने 13 अनुदानों एवं दो विनियोजनों में विधानसभा से मंजूर बजट राशि से 1782.17 करोड़ रुपए अधिक खर्च किए हैं. वित्तीय वर्ष 2014-15 से 2020-21 तक सदन की मंजूरी के बिना खर्च किए गए 8818.47 करोड़ की राशि का विधायिका से विनियमन करवाना जरूरी थी, जो नहीं किया गया है.
रिपोर्ट में चिंता जताई गई है कि राज्य सरकार ने कई मामलों में तो मूल बजट को भी खर्च नहीं किया, लेकिन अनुपूरक बजट में अनुदानों के लिए अतिरिक्त धन का प्रावधान किया गया. ये कोई अच्छी स्थिति नहीं कही जा सकती. कर्ज के जाल को लेकर कैग ने बार-बार चेताया है और रिपोर्ट में दर्ज किया गया है कि सरकार को आगामी एक दशक में 61 हजार करोड़ से अधिक का कर्ज चुकाना है. जब सरकार का अधिकांश बजट कर्ज चुकाने में जाएगा तो विकास के लिए बजट सिकुड़ जाएगा. हालांकि रिपोर्ट के अनुसार वित्त वर्ष 2021-22 में राज्य की राजस्व प्राप्तियां विगत वर्ष की तुलना में 3871 करोड़ रुपए बढ़ी है. इसके पीछे केंद्रीय करों व शुल्कों में राज्य का हिस्सा जिम्मेदार है.