शिमला:लॉकडाउन और कर्फ्यू जब लगा तब चेरी सीजन था बड़ी मंडियां बंद थीं, लेकिन प्रशासन ने चुनौतियों को स्वीकार किया. डीसी शिमला अमित कश्यप ने बताया कि 70 प्रतिशत जिले की चेरी दिल्ली और उसके आसपास बेची जाती रही. उस समय उसकी मार्केटिंग सबसे बड़ी चुनौती थी, लेकिन हमने जो हमारे बड़े प्लेयर्स थे उनको बुलाया. यहां पर ही चेरी के अच्छे दाम मिले.
यूपी के तीन जिलों में बात की
डीसी ने बताया कि सेब सीजन में मजदूरों की दिक्कत आई. यहां नेपाली मूल के मजदूर काम करते थे, लेकिन कोरोना के चलते वापस चले गए. जिला प्रशासन से लेकर प्रदेश सरकार ने प्रयास किया. डीसी ने बताया कि व्यक्तिगत तौर भी भी यूपी के सिद्धार्थनगर, बलरामपुर और महाराजगंज के डीएम से बात की गई है. काफी संख्या में हम मजदूरों को लेकर आए हैं.
डीसी अमित कश्यप ने कहा कि सभी एसडीएम को निर्देश दिए गए हैं कि बागवान लेबर लेकर आ सकता है, लेकिन कोविड नियमों का पालन कराया जाए. उन्होंने बताया कि कई जगह लेबर रेड जोन से आ रहे हैं. ऐसे में प्रशासन ने फैसला लिया कि बाहर से लाये गए मजदूरों को 7 दिन संस्थागत क्वारंटाइन रखा जाए. उसके बाद होम क्वांरटाइन या बगीचों में जहां वह काम करेंगे वहां भेजा जाएगा. लक्ष्ण मिलेंगे तो कोरोना जांच की जाएगी.
सेब सीजन में अभी तक दिक्कत नहीं
डीसी अमित कश्यप ने बताया कि सेब की मार्केंटिंग की भी बड़ी चुनौतियां रही हैं, लेकिन काम अच्छा चल रहा है बागवानों का दाम अच्छे मिले रहे हैं. कोरोना में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया जा सके इसका सभी को विशेष ख्याल रखना है. इसलिए छोटी मंडियों को स्थापित किया गया है. जिला प्रशासन की रणनीति के तहत चुनौतियों को स्वीकार कर काम किया गया है. कोरोना मामलों में ठीक होने का प्रतिशत करीब 70% है. सभी का डाटा एकत्र किया जा रहा है, ताकि सारी जानकारी मालूम रहे. इस समय बाहरी राज्यों से मजदूर और व्यापारी आ रहे हैं. फिलहाल सेब सीजन को लेकर कोई परेशानी नहीं है.
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