शिमलाः बीते दिनों से हो रही बेमौसम बारिश व ओलावृष्टि से राजधानी शिमला के लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. बीती रात हुई बारिश व ओलावृष्टि से किसानों को भारी नुकसान हुआ है. किसानों की खड़ी फसलें पूरी तरह से तबाह हो गई. बारिश व ओलावृष्टि से फसलें तबाह होने से किसान 2 वक्त की रोटी के मोहताज हो गए हैं.
इन जगहों पर फसलें तबाह
ओलावृष्टि से विकास खण्ड मशोबरा के गुम्मा, कायली, सनाणा, हवालडी, धरती कण्डा, मूलकोटी, दुधली में किसानों की सारी फसलें तबाह हो गई. किसान पहले से ही महंगाई और फसलों के उचित दाम न मिलने से चिंतित है और ऊपर से यह कहर किसानों की कमर तोड़ चुका है. हालात ऐसे बन चुके है कि किसान 2 वक्त की रोटी का मोहताज होता जा रहा है.
विकास खण्ड मशोबरा के प्रभावित क्षेत्र के किसानों की सरकार से गुहार है कि उनके नुकसान का आंकलन किया जाए और यथा संभव मुआवजा दिया जाए. इससे किसानों को कुछ राहत होगी और कोविड के इस संकट में अपने परिवार का भरण पोषण कर पाएंगे.
फसलों के लिए बारिश व ओलावृष्टि काफी खतरनाक
गौर रहे कि बीते एक सप्ताह से शिमला जिला में बारिश व ओलावृष्टि ने किसानों व बागवानों की कमर तोड़कर रख दी है. ऊपरी शिमला की बात करें तो यहां पर भी मटर, गोभी, चैरी आदि की फसलें तैयार हैं. इन फसलों के लिए बारिश व ओलावृष्टि काफी खतरनाक है. ओलावृष्टि से फसलों को बाजार में बेचना मुश्किल हो रहा है. मंडियों में बजरी वाली सब्जी व चेरी की फसल के दाम में 15 से 20 रुपये का फर्क पड़ रहा है. जहां पहले गोबी 15 से 25 रुपये में बिक रही थी अब 5 से 7 रुपये में बिक रही हैं. वहीं, मटर पहले 40 से 50 बिक रही थी अब 20 से 25 रुपये में बिक रही हैं.