शिमला: राजधानी में सोमवार को देवालयों मे भक्तों की भीड़ देखने को मिली. श्रद्धालुओं ने लंबी कतारों में लग कर शिवलिंग का जलाभिषेक व पूजा अर्चना की.
सावन माह को भगवान शिव से जोड़ा जाता है. ऐसा कहा जाता है कि इस समय भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने से पुण्य और मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
वासुदेव शर्मा, मंदिर के पुजारी शिव मंदिर के पुजारी ने बताया कि सावन महीने में समंद्र मंथन के दौरान सागर के गर्भ से निकले विष को भगवान शिव ने पी लिया था. शिव ने विष को अपने गले में रोक लिया था. विष के प्रभाव से शिव का शरीर नीला पड़ गया था. इसके बाद शिव भगवान को नीलकंठ भी कहा जाने लगा. विष के प्रभाव को कम करने के लिए सावन माह में शिवलिंग की विशेष पूजा अर्चना की जाती है.
ये भी कहा जाता हि कि इसी माह में ही पार्वती ने शिव को पाने के लिए तपस्या की थी और उनकी मनोकामना पूरी हुई थी. साथ ही पुजारी ने ये भी बताया कि सावन में सूर्य कर्क लग्न में प्रवेश करता है. इस माह में सच्चे मन और लग्न से शिव की विशेष पूजा अर्चना करने से भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है.
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