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हिमाचल सरकार करेगी देसी गाय का संरक्षण, प्रदेश भर में किया जाएगा काऊ सेंचुरी का निर्माण

देश में पहाड़ी गाय के संरक्षण के लिए सरकार कई कदम उठा रही है. इस के तहत सड़कों पर पहाड़ी गौवंश आवारा न घूमे इसके लिए काऊ सेंचुरी का निर्माण प्रदेश भर में किया जा रहा है. यह बात मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने शिमला के पोर्टमोर स्कूल में पहाड़ी गाय के संरक्षण पर आयोजित कार्यशाला में कही.

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Published : Dec 3, 2019, 7:46 PM IST

cow sanctuary in himachal
हिमाचल सरकार करेगी देसी गाय का संरक्षण,

शिमला: प्रदेश में पहाड़ी गाय के संरक्षण के लिए सरकार कई कदम उठा रही है. इस के तहत सड़कों पर पहाड़ी गौवंश आवारा न घूमे इसके लिए काऊ सेंचुरी का निर्माण प्रदेश भर में किया जा रहा है. यह बात मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने शिमला के पोर्टमोर स्कूल में पहाड़ी गाय के संरक्षण पर आयोजित कार्यशाला में कही.

मुख्यमंत्री ने धर्मिक संस्थाओं के साथ ही गैरसरकारी संगठनों से देसी नस्लों के संरक्षण के लिए आगे आने का भी आह्नान किया. उन्होंने कहा कि इस कार्यशाला में जो भी सुझाव विशेषज्ञों की चर्चा के बाद आएंगे उन सुझावों को सरकार को सौंपा जाए जिससे कि सरकार उन सुझावों पर भी कार्य कर सकें.

इस कार्यशाला का आयोजन आरोग्य भारती एवं कल्याणी पहाड़ी गौ विज्ञान केंद्र ने संयुक्त रूप से किया, जिसमें गौ वैज्ञानिक, विशेषज्ञ एवं विशिष्ट वक्ता गौ वैज्ञानिक डॉ. देवेंद्र सदाना करनाल हरियाणा, वैज्ञानिक प्रोफेसर आरएस चौहान पंतनगर उत्तराखंड, विशिष्ट वक्ता डॉ. अशोक वार्ष्णेय राष्ट्रीय संगठन सचिव आरोग्य भारती भोपाल मध्य प्रदेश, गव्यसिद्ध ओमप्रकाश पांडे जालंधर पंजाब से आए और पहाड़ी गाय के मानव जीवन और स्वास्थ्य पर प्रभावों के बारे में जानकारी दी.

वीडियो रिपोर्ट.

इस अवसर पर ग्रामीण विकास, पंचायती राज और पशु पालन मंत्री वीरेंद्र कंवर ने कहा कि केंद्र सरकार ने प्रदेश में सेक्स सॉर्टेड सीमेन परियोजना को मंजूरी प्रदान की है, ताकि देसी प्रजाति के पशुओं को बढ़ावा दिया जा सके. उन्होंने कहा कि पहाड़ी प्रजाति की गाय को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश सरकार ने गौरी परियोजना तैयार की है.

इसे केंद्र सरकार से जल्द ही मंजूरी मिल जाएगी. इसके साथ ही उन्होंने केंद्र सरकार की ओर से पहाड़ी गाय के संरक्षण से जुड़ी योजनाओं के लिए जारी किए गए बजट का भी जिक्र किया. इस कार्यशाला में विशिष्ट वक्ता के रूप में आए आरोग्य भारती के राष्ट्रीय सचिव अशोक वार्ष्णेय ने कहा की पहाड़ी गाय जिसे अभी सड़कों पर आवारा घूमने के लिए छोड़ा जा रहा है, अगर उस नस्ल को विकसित किया जाए तो उससे 2 से लेकर 10 किलो तक दूध किसान ले सकता है.
इसकी कीमत भी अन्य दूध के मुकाबले ज्यादा होगी. उन्होंने कहा कि दिल्ली के एम्स में मानसिक रोगों से पंचगव्य के उपचार पर भी प्रमाणिक शोध हुआ है. इसके साथ ही पहाड़ी गाय के दूध में एसिडिटी कम करने वाला, इम्यूनिटी और मेमोरी बढ़ाने वाला मिर्गी एवं मानसिक रोगों में उपयोगी मधुमेह को रोकने वाला व दिल के दौरों में भी उपयोगी माना जाता है.

अशोक वार्ष्णेय ने कहा कि गोमूत्र के सेवन से कई प्रकार के कैंसर का उपचार हो रहा है. यह तथ्य जर्मनी के वैज्ञानिक डॉ. जूलियस एवं डॉ. बुस्च ने प्रमाणित किए हैं. उन्होंने कहा कि विदेशियों ने भी यह माना है की पहाड़ी गाय के दूध में पौष्टिकता है.

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