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कोविड और नॉन कोविड मरीजों को IGMC शिमला में मिला बेहतर इलाजः एमएस डॉ. जनक राज - Shimla latest news

आईजीएमसी शिमला के एमएस डॉ. जनक राज ने बताया कि अब तक आईजीएमसी में 6 लाख, 25 हजार, 324 नॉन कोविड मरीजों ओपीडी में आए, जिसमें 2020 में 4 लाख, 24 हजार, 788 मरीज जबकि 2021 में अब तक 2 लाख, 536 मरीजों का इलाज ओपीडी के माध्यम से हुआ. उन्होंने कहा कि अब तक अस्पताल में 568 कोविड मरीजों की इलाज के दौरान मौत हुई है. मरीज अस्पताल में काफी लेट पहुंच रहे हैं, जिससे मौत का आंकड़ा 2 प्रतिशत है.

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Published : May 24, 2021, 8:24 PM IST

शिमलाःआईजीएमसी शिमला में कोरोना काल से लेकर अब तक कोविड और नॉन कोविड मरीजों का इलाज किया जा रहा है. अस्पताल प्रशासन के अनुसार प्रदेश का एकमात्र ऐसा अस्पताल रहा, जहां दोनों मरीजों का इलाज किया गया.

अस्पताल में ओपीडी की संख्या में आई कमी

जानकारी अनुसार कोरोना में अब तक आईजीएमसी में 6 लाख, 25 हजार, 324 नॉन कोविड मरीज ओपीडी में आए, जिसमें 2020 में 4 लाख,24 हजार,788 मरीज जबकि 2021 में अब तक 2 लाख, 536 मरीजों की ओपीडी लगाई गई है. गौर रहे कि अस्पताल में पर्ची बनाने का समय भी घटाकर 10 से 1 का किया गया है, जिससे कि अस्पताल में भीड़ न लग सके. हालांकि मौजूदा समय में ओपीडी में कमी आई है.

कोरोना कर्फ्यू में परिवहन सेवा न होने के कारण लोग अस्पताल नहीं पहुंच पा रहे है, जिससे रोजाना ओपीडी की संख्या 500 से 600 हो गई है. इसके अलावा अस्पताल में अब तक कोरोना के 2834 गंभीर मरीजों का इलाज किया गया, जोकि प्रदेश के विभिन्न जिलों से रेफर होकर आईजीएमसी अस्पताल में भर्ती हुए थे. इनमें से 2025 मरीज ठीक होकर घर जा चुके हैं, जबकि 241 मरीजों का अभी भी अस्पताल में उपचार चल रहा है. इसके अलावा भी कई मरीजों के अन्य बीमारियों के ऑपरेशन अस्पताल में किए गए हैं और 235 कोविड मरीज के डायलिसिस भी किए गए.

कोरोना मरीजों की मौत का आंकड़ा केवल 2 प्रतिशत

अस्पताल प्रशासन के अनुसार अब तक कोरोना मरीजों की मौत का आंकड़ा अस्पताल में केवल 2 प्रतिशत है. जबकि वर्ल्ड जनरल ऑफ डेथ एंड डाइंग के अनुसार पूरे विश्व में कोविड की मृत्यु दर 2 से 3 प्रतिशत आंकी गई है. यह जानकारी आईजीएमसी एमएस डॉ. जनक राज ने दी. उन्होंने बताया कि अब तक अस्पताल में 568 कोविड मरीजों की इलाज के दौरान मौत हुई है. मरीज अस्पताल में काफी लेट पहुंच रहे हैं, जिससे मौत का आंकड़ा 2 प्रतिशत है. ज्यादातर मरीज 2 से 4 दिन बुखार आने पर घर पर ही इलाज कर रहे हैं. गंभीर स्थिति में आने के बाद ही वह अस्पताल में आ रहे हैं. ऐसे में मरीज को बचाना मुश्किल हो जाता है.

अस्पताल में ऑक्सीजन कोई कमी नहीं

आईजीएमसी अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी नहीं है. गौर रहे कि अस्पताल में अब तक 60 लाख लीटर ऑक्सीजन की खपत हो चुकी है. गौर रहे कि हाल ही में अस्पताल में लिक्विड ऑक्सीजन प्लांट स्थापित किया गया है, जिसमें एक समय में 1200 डी टाइप के सिलेंडर भरे जा सकेंगे. एक डी टाइप सिलेंडर में ऑक्सीजन 7 हजार लीटर भरी जा सकती है. अस्पताल में मरीजों को ऑक्सीजन की कोई भी कमी नहीं आएगी.

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