रामपुर/शिमला: प्रदेश के जंगलों में पाए जाने वाली औषधीय गुणों से भरपूर गुच्छी पर भी इस बार कोरोना की मार पड़ रही है. ग्रामीणों के अनुसार पिछले साल के मुकाबले इस साल गुच्छी की कीमत कम हुई है. औषधीय गुणों से भरपूर गुच्छी अधिकतर शिमला के जंगलों में पाई जाती है. इसे ढूंढने के लिए यहां के ग्रामीण जंगलों में जाते हैं.
इस क्षेत्र में रहने वाले लोगों के लिए गुच्छी एक वरदान की तरह है. इससे यहां रहने वाले लोगों की अच्छी-खासी कमाई होती है. स्थानीय लोगों की मानें तो गुच्छी पहाड़ों पर बिजली की गड़गड़ाहट व चमक के कारण जमीन से निकलती है. गुच्छी कई तरह की दवाइयों में प्रयोग होने वाली मशरूम प्रजाति की बूटी का सृजन बारिश के बाद आरंभ हो जाता है. लिहाजा सेब, अनार और सब्जियों के सीजन से पहले गुच्छी से अपनी आय बढ़ाने वाले ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों ने अपने दूसरे काम को छोड़ इस अनमोल बूटी की खोज के लिए जंगलों की ओर रुख कर दिया है.
इस व्यवसाय से जुड़े लोगों से मिली जानकारी के अनुसार इस बार अधिक बारिश होने से क्षेत्र के जंगलों में गुच्छी की पैदावार अच्छी है. इसका सीजन चरम पर है, यह अद्भुत रसायनिक वाली बूटी दवाइयों में इस्तेमाल होने के साथ अब नामचीन होटलों में भी मेहमानों को परोसी जाने लगी है.