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शिमला को पसंद नहीं ऐसी गुस्ताखी, सजावट के लिए कीलों व बिजली से घोंटा जा रहा था पेड़ों का गला, जनता ने उठाई आवाज तो प्रशासन ने किया सरेंडर - controversy over decoration of trees in shimla

Controversy Over Decoration Of Trees In Shimla: शिमला शहर को क्रिसमस और न्यू ईयर के लिए रंग-बिरंगी लाइटों से सजाया जा रहा है. इसके लिए रिज व माल रोड पर चिनार के पेड़ों में कीलें लगाकर लाइटिंग की जा रही है. इस पर पर्यावरण प्रेमी भड़क गए और फिर... पढ़ें पूरी खबर...

Controversy Over Decoration Of Trees In Shimla
शिमला को पसंद नहीं ऐसी गुस्ताखी

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Dec 24, 2023, 3:01 PM IST

शिमला:पहाड़ी शहर शिमला की पहचान पेड़ों से है. रिज मैदान पर बरसों से समय की हर हलचल के गवाह कनोर के पेड़ सहित खूबसूरत चिनार के पेड़ों को स्थानीय प्रशासन ने कीलों और बिजली के तारों से जकड़ दिया. इसे चाहे क्रिसमस, न्यू इयर सेलिब्रेशन अथवा विंटर कार्निवल के मौके की सजावट कहें या फिर कुछ और लेकिन शिमला की जनता ने प्रशासन की इस हरकत को बर्दाश्त नहीं किया. जैसे ही पेड़ों को बिजली की तारों से घेरा गया और उनके इर्द-गिर्द तारें लपेट गईं, शिमला की जनता का विरोध शुरू हो गया. पूर्व डिप्टी मेयर टिकेंद्र पंवर ने तो इस क्रूरता की शिमला पुलिस से शिकायत कर दी. लोगों के विरोध के स्वर प्रशासन के बहरे कानों से इतने जोर से टकराए कि उसे पेड़ों को तारों के जाल से आजाद करना पड़ा.

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शिमला के डिप्टी मेयर रहे टिकेंद्र पंवर पर्यावरण के विषयों पर भी सक्रिय रहते हैं. उन्हें स्थानीय प्रशासन की ये कारगुजारी बिल्कुल पसंद नहीं आई. उन्होंने पुलिस ने शिकायत दर्ज करवाई. स्थानीय लोगों का भी कहना था कि शिमला पहले ही खूबसूरत है और यहां प्रकृति ने जी भर सौंदर्य लुटाया है. ऐसे में पेड़ों को कत्ल करने सरीखे कृत्रिम सजावटी उपायों की कोई जरूरत नहीं है.

जनता ने निभाया फर्ज: शिमला में रिज मैदान पर दौलत सिंह पार्क के समीप चिनार के दुर्लभ पेड़ हैं. बड़ी मुश्किल से उनका संरक्षण हुआ है. उन पर तारें लपेट दी गई और बिजली की चकाचौंध से उनका सौंदर्य ढकने की कोशिश की गई. जब विरोध के स्वर नगर निगम शिमला के आयुक्त तक पहुंचे तो पहले उन्होंने इस जस्टिफाई करने का प्रयास किया, लेकिन पर्यावरण से छेड़छाड़ का वे भी बचाव नहीं कर सके. उन्होंने इस लाइटिंग को टैंपरेरी बताया. बाद में विरोध तेज हुआ तो प्रशासन ने पेड़ों पर लपेटी गई तारों और लाइटिंग को हटाने का काम शुरू कर दिया. इस तरह शिमला की जागरूक जनता ने पर्यावरण के प्रति अपना फर्ज निभाया और प्रशासन को सरेंडर करने पर मजबूर किया.

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