शिमला: हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने एक अहम फैसला दिया है. हाई कोर्ट ने कहा है कि सार्वजनिक रोजगार के लिए हिमाचली प्रमाण पत्र की शर्त गैर जरूरी है. इसके साथ ही अदालत ने पंजाब निवासी एक महिला को हिमाचल प्रदेश राज्य वन निगम में नौकरी देने के आदेश पारित किए. मामले के अनुसार प्रार्थी संदीप कौर के पिता हिमाचल में वन निगम में वन रक्षक के तौर पर नौकरी कर रहे थे. सेवा के दौरान उनकी मृत्यु हो गई. बेटी संदीप कौर ने अनुकंपा के आधार पर नौकरी के लिए आवेदन किया था, लेकिन वन निगम ने शर्त लगाई कि हिमाचली प्रमाण पत्र जरूरी है. मामला हाई कोर्ट पहुंचा तो अदालत ने वन निगम के अनुकंपा के आधार पर नौकरी न देने के फैसले को खारिज कर दिया. साथ ही वन निगम को आदेश दिया कि प्रार्थी को नौकरी दी जाए.
यही नहीं, हाई कोर्ट ने वन निगम की ओर से प्रार्थी को सार्वजनिक रोजगार से वंचित करने के लिए 10 हजार रुपये की कॉस्ट भी लगाई है. मामले की सुनवाई हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एमएस रामचंद्र राव व न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल की खंडपीठ ने की. सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट को बताया गया कि प्रार्थी के पिता वन निगम में वन रक्षक के तौर पर नौकरी करते थे. तीन साल पहले 16 जुलाई को सेवा के दौरान उनकी मौत हो गई थी. प्रार्थी ने 29 अक्टूबर 2021 को अनुकंपा के आधार पर लिपिक के पद के लिए आवेदन किया. फिर 17 मार्च 2022 को वन निगम ने प्रार्थी से पेंशन प्रमाण पत्र, चरित्र और हिमाचली प्रमाण पत्र जमा करवाने के लिए कहा. हाई कोर्ट को बताया गया कि प्रार्थी ने पंजाब पुलिस से जारी किया हुआ चरित्र प्रमाण पत्र पेश किया. कोर्ट को बताया गया कि उसने हिमाचली प्रमाण पत्र जारी करने के लिए आवेदन किया था लेकिन हिमाचल में उसका घर न होने के कारण उसे यह जारी नहीं किया गया.