शिमला: भाजपा के कद्दावर नेता अमित शाह ने 2017 के चुनाव में मंडी के सराज में एक चुनावी सभा में कहा था कि पार्टी पांच नहीं पंद्रह साल सत्ता में रहने का लक्ष्य लेकर चली है. भाजपा की पुरजोर कोशिशों के बावजूद हिमाचल की सत्ता उसके हाथ से खिसक गई. कांग्रेस के सिर सत्ता का ताज सजा और सुखविंदर सिंह सुक्खू हॉट सीट पर विराजमान हुए.
कांग्रेस में तकरार!सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सुख की सरकार और व्यवस्था परिवर्तन का नारा दिया, लेकिन एक साल का कार्यकाल पूरा होने से पहले ही संगठन और सरकार में तकरार बढ़ने लगी है. इससे संगठन और सरकार में दरार बढ़ने की आशंका हैं. शुरुआत हुई प्रतिभा सिंह के तीखे बयान से सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने एक साल के जश्न की रूपरेखा तैयार करने के लिए विधायक दल की मीटिंग बुलाई. राज्य में संगठन की मुखिया प्रतिभा सिंह को इस बैठक की जानकारी नहीं दी गई, जबकि इससे पहले पीसीसी चीफ कुलदीप सिंह राठौर को विधायक दल की बैठक में बुलाया जाता रहा.
प्रतिभा सिंह की नाराजगी!बताया जा रहा है कि प्रतिभा सिंह इस अनदेखी से आहत हो गई. शिमला में एक बयान में प्रतिभा सिंह ने कहा कि उन्हें एक साल के जश्न के लिए कॉन्फिडेंस में नहीं लिया गया. उन्हें जश्न के समारोह को लेकर कोई जानकारी नहीं है. बस, प्रतिभा सिंह के इस बयान के सामने आते ही कांग्रेस के सियासी गलियारे में हलचल मच गई. राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश विधानसभा के चुनाव में करारी हार से कांग्रेस कार्यकर्ता पहले ही हताश और निराश थे और ऊपर से जिस राज्य में पार्टी सत्तासीन है, वहीं पर तकरार तेज हो जाए तो हाईकमान भी परेशान होगी.
वैसे तो हिमाचल में सत्ता में आने के दौरान ही हॉट सीट के लिए संघर्ष हुआ था. वीरभद्र सिंह के दौर में सत्ता का केंद्र उनका निजी आवास होली लॉज हुआ करता था. वीरभद्र सिंह का जलवा ऐसा था कि उनके मुख्यमंत्री रहते पार्टी में विरोधी गुट कभी हावी नहीं हो पाता था. इस बार पार्टी सत्ता में आई तो होली लॉज ने एक बार फिर से सत्ता का केंद्र बिंदु बनने के लिए जी-तोड़ प्रयास किया, लेकिन बाजी सुखविंदर सिंह सुक्खू के हाथ लगी. सुखविंदर सिंह सुक्खू सीएम बन गए, लेकिन उनके हॉट सीट पर बैठते ही कई नेताओं के अरमान टूट गए. मुकेश अग्निहोत्री को डिप्टी सीएम के पद से संतोष करना पड़ा.
का खैर, सरकार चलने लगी और सीएम ने व्यवस्था परिवर्तन के साथ-साथ सुख की सरकार का नारा बुलंद किया. सुख की सरकार के लिए पहली अग्नि परीक्षा कैबिनेट विस्तार के रूप में आई. लाल बत्ती वाली कार के इंतजार में नेता बेचैन होने लगे. कैबिनेट मंत्रियों के तीन पद खाली हैं. इंतजार की घड़ियां लंबी होने लगी तो सुजानपुर से राजेंद्र राणा का सब्र का बांध टूट गया और उन्होंने सोशल मीडिया पर महाभारत वाली बात कह दी. वीरभद्र सरकार के समय कैबिनेट मंत्री रहे सुधीर शर्मा भी इंतजार करते रह गए.