शिमला: राज्य सरकार हिमाचल प्रदेश को देश का मुख्य औद्योगिक केंद्र बनाने के लिए कदम उठा रही है. इसी कड़ी में प्रदेश सरकार हिमाचल में औद्योगिक निवेश बढ़ाने के लिए उद्योगपतियों से आवश्यक प्रमाण-पत्र की अनिवार्यता की शर्त को समाप्त करने पर सक्रियता से विचार कर रही है. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा है कि इस संबंध में नई औद्योगिक नीति में प्रावधान किया जाएगा. राज्य सरकार ने संभावित उद्यमियों को उद्योग अनुकूल वातावरण प्रदान करने के लिए विभिन्न योजनाएं आरंभ की हैं, जिससे ‘व्यापार में सुगमता’ सूचकांक में प्रदेश की वरीयता भी सुधरी है. उन्होंने कहा कि राज्य में उद्योग-मित्र वातावरण प्रदान करना और निवेश को बढ़ावा देना प्रदेश सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है.
आसान ऋण जैसी सुविधाएं करवाई जा रही हैं उपलब्ध:उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश को देश के पसंदीदा निवेश गंतव्य रूप में विकसित करने के उद्देश्य से प्रदेश सरकार ने कई नई नीतियां अपनाई हैं, जिनके तहत नए उद्योग स्थापित करने के लिए सस्ती दरों पर बिजली, राज्य वित्त निगम और राष्ट्रीय बैंकों के माध्यम से आसान ऋण जैसी सुविधाएं उपलब्ध करवाई जा रही हैं. कम दरों पर लीज पर भूमि उपलब्ध करवाई जा रही है और नए उद्योगों को बिक्री या खरीद कर पर छूट भी दी जा रही है. प्रदेश के बाहर निकटतम रेलवे स्टेशन से कच्चे माल के परिवहन भाड़े पर रियायत के अलावा अन्य सीमांत लाभ भी प्रदान किए जा रहे हैं.
उद्योग विभाग करेगी विस्तृत सर्वे:मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में स्थापित 99 प्रतिशत उद्योग सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम श्रेणी में शामिल हैं. उद्योग विभाग इन उद्योग का विस्तृत सर्वे करेगी, जिससे इनकी समस्याओं का पता लगाया जाएगा और उनका उचित निवारण होगा. एक जिला एक उत्पाद की अवधारणा को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश में यूनिटी मॉल स्थापित किया जाएगा. उन्होंने कहा कि उद्योग विभाग में ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टमेंट प्रमोशन स्थापित किया जा रहा है जो सिंगल विंडो की जगह लेगा. यह ब्यूरो संभावित निवेशकों को एक छत के नीचे सभी स्वीकृतियां प्रदान करने की सुविधा देगा.