शिमला:करदाताओं के डाटा के विश्लेषण करने के लिए राज्य कर एवं आबकारी विभाग अब आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI) का इस्तेमाल करेगा. जिससे कर चोरी करने वालों को पकड़ा जा सकेगा. इस बारे में जानकारी देते हुए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बताया कि प्रदेश का राजस्व बढ़ाने के लिए और इसकी क्षमता को सशक्त करने के लिए राज्य कर एवं आबकारी विभाग, ऑडिट प्रवर्तन के लिए आधुनिक तकनीकों के साथ अब आर्टिफिशियल इंटेलीजेंसी का भी इस्तेमाल करेगा. इसके लिए प्रदेश सरकार एक महत्वाकांक्षी योजना शुरू करने जा रही है. इसको कैबिनेट ने भी अनुमति प्रदान कर दी है.
AI की मदद से बढ़ेगा राज्य का राजस्व: मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बताया कि राज्य कर एवं आबकारी विभाग द्वारा ऑडिट प्रवर्तन की आधुनिक तकनीक को अपनाने से सटीक डेटा तैयार करने में मददगार होगा. वहीं, टैक्स चोरी का पता लगाने के साथ इसके रोकने में AI से मदद मिलेगी. उन्होंने कहा इस महत्वाकांक्षी पहल को कार्यान्वित करने का मकसद जीएसटी से जुड़े राजस्व नुकसान को कम करना है. इस परियोजना के कारण हिमाचल प्रदेश के सालाना राजस्व में 250 करोड़ रुपये की अतिरिक्त बढ़ोत्तरी होगी.
GST बकाएदारों का असल डेटा देगा AI: मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बताया कि सीमित श्रम शक्ति के चलते टैक्स नुकसान की पहचान करने के लिए करदाताओं के आंकड़ों को उसी समय तुरंत एनालिसिस करने की भी चुनौती विभाग के सामने बनी रहती है. AI प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल से इस चुनौती से निपटने की योजना तैयार की गई है. इससे टैक्स चोरी के मामलों की जल्द पहचान करने और राज्य के जीएसटी राजस्व को बढ़ाने के लिए सटीक जानकारी उपलब्ध होगी. AI के जरिए जीएसटी बकाएदारों का असली डेटा भी उपलब्ध रहेगा. जिससे निरीक्षण करना और जल्द निर्णय लेने की प्रक्रिया भी आसान होगी. इसके अलावा इस परियोजना के माध्यम से समय-समय पर रेवेन्यू कलेक्शन पैटर्न का विश्लेषण करने और प्रोत्साहन नीतियों पर निर्णय लेने में राज्य सरकार को मदद मिलेगी. साथ ही, स्वैच्छिक टैक्स अनुपालन बढ़ाने में भी मदद मिलेगी.