शिमला: हिमाचल विधानसभा में शिमला और धर्मशाला में स्मार्ट सिटी के हुए कार्यों का मामला उठा. धर्मशाला के विधायक सुधीर शर्मा ने दोनों शहरों में बने स्मार्ट सिटी प्रोजेक्टों की गुणवत्ता पर सवाल उठाए और सरकार से मांग की इसकी जांच के लिए एक कमेटी गठित की जानी चाहिए. सुधीर शर्मा ने कहा कि स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट कांग्रेस सरकार के दौरान आया था. इसके बाद भाजपा सरकार के समय इसका निर्माण हुआ, लेकिन इसके कार्यों में गुणवत्ता का ध्यान नहीं रखा गया.
विधायक सुधीर शर्मा ने सरकार से मांग की कि इसकी गुणवत्ता की जांच के लिए कमेटी बनाई जाए और दोषियों पर कार्रवाई की जाए. शिमला के विधायक हरीश जनारथा ने कहा कि शिमला शहर में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के कार्यों का मलबा हर कहीं डंप किया गया है. इसका मलबा डंपिंग साइट में डंप नहीं किया गया, बल्कि इनको नालों में फेंक दिया गया. इससे शिमला ड्रेनेज सिस्टम प्रभावित हुआ है और यह आपदा के भी एक बड़ा कारण बना है. उन्होंने यह भी कहा कि स्मार्ट सिटी के प्रोजेक्टों का निर्माण धीमी रफ्तार से रहा है. यही नहीं कुछ प्रोजेक्टों को रद्द किया गया और उनका पैसा कहां लगाया गया इसको कोई पता नहीं है.
विधायक राजेश धर्माणी ने स्मार्ट सिटी के कार्यों को लेकर सवाल उठाते हुए कहा था कि टेक्निकल कार्यों को नॉन टेक्निकल अधिकारियों द्वारा मंजूरी दी जा रही है. इसका नतीजा यह है कि जो इन कार्यों को कई गुणा ज्यादा कीमत पर कार्य किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि आम तौर पर जिस खुदाई के रेट 250 रुपए प्रति क्यूबिक मीटर की है उसी कार्य को धर्मशाला में 6050 क्यूबिक मीटर के रेट से किया गया है.