शिमला: हिमाचल के जंगलों में सूखे पेड़ बड़ी संख्या में हर साल गिरते हैं, लेकिन इनका समय पर कटान नहीं हो पाता. इस वजह से इनमें से काफी संख्या में पेड़ जंगलों में ही नष्ट हो जाते हैं. राज्य की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार अब सूखे पेड़ों के समय पर कटान करने को लेकर कदम उठा रही है क्योंकि यह राज्य सरकार के लिए आय का एक बड़ा सोर्स हो सकता है. मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से कहा है कि वे सूखे पेड़ों की मार्किंग के लिए एसओपी तैयार करें. मुख्यमंत्री ने साथ में वन विकास निगम को इमारती लकड़ी की ऑनलाइन बिक्री की सुविधा देने पर भी बल दिया.
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने वन विभाग एवं हिमाचल प्रदेश राज्य वन विकास निगम की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि राज्य के लिए राजस्व अर्जित करने के दृष्टिगत वनों में सूखे पेड़ों का समय पर कटान आवश्यक है. समय पर पेड़ों के कटान न होने से ये नष्ट हो रहे हैं. उन्होंने अधिकारियों को पेड़ों की प्रभावी मार्किंग, निकालने और निपटारा सुनिश्चित करने के लिए एक एसओपी एसओपी तैयार करने के निर्देश दिए. यही नहीं मुख्यमंत्री ने इस बैठक में अधिकारियों को इमारती लकड़ी की ऑनलाइन बिक्री के लिए एक वेबसाइट विकसित करने पर भी बल दिया.
हिमाचल के जंगलों में 86,874 सूखे पेड़: मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान में, राज्य में वन भूमि पर लगभग 86,874 सूखे एवं क्षतिग्रस्त पेड़ हैं, जिनसे लगभग 64,000 क्यूबिक मीटर इमारती लकड़ी का उत्पादन होने की उम्मीद है. उन्होंने वन भूमि पर इन पेड़ों के समय पर निकालने और निपटारे की सुविधा के लिए मासिक आधार पर मार्किंग सुनिश्चित करने पर बल दिया. उन्होंने कहा कि इस दिशा में व्यवस्थित प्रयासों से इमारती लकड़ी को प्रदेश के राजस्व का एक मूल्यवान स्रोत बनाने की दिशा में यह कारगर सिद्ध होगा. उन्होंने कहा कि समय पर सूखे पेड़ों की निकासी न होने से प्रदेश को राजस्व की हानि हो रही है.