शिमला:मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की अध्यक्षता में शनिवार को शिमला में हिमाचल प्रदेश राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की बैठक हुई. इसमें सीएम ने आपदा के समय जानमाल को कम से कम नुकसान हो, इसके लिए एडवांस रूप से कार्रवाई पर बल दिया. इस बैठक में प्राकृतिक आपदाओं से निपटने और इसके लिए तैयारियों से संबंधित विभिन्न उपायों पर विस्तार से चर्चा की गई. मुख्यमंत्री ने कहा कि भारी बारिश के कारण होने वाले नुकसान को कम करने के लिए वर्तमान में वास्तविक समय के आधार पर मौसम संबंधी पूर्वानुमान के लिए एक मजबूत और अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी आधारित प्रणाली विकसित करना आवश्यक है. उन्होंने कहा कि प्रदेश के स्नो कवर्ड क्षेत्रों में पांच स्वचालित मौसम पूर्वानुमान प्रणालियां स्थापित करना प्रस्तावित है.
मुख्यमंत्री ने कहा वर्तमान में जलवायु परिवर्तन आज की सबसे बड़ी चुनौती है. इस समस्या से पार पाने के लिए समुचित कदम उठाना बेहद आवश्यक है. उन्होंने कहा कि ग्लेशियरों के पिघलने से बनने वाली अस्थाई झीलों की निरंतर निगरानी की जानी चाहिए. बरसात के दौरान बांधों से पानी छोड़ने के लिए समुचित प्रणाली की अनुपालना सुनिश्चित की जानी चाहिए और बांधों से पानी रूक-रूक कर छोड़ा जाना चाहिए, ताकि निचले क्षेत्रों में होने वाले नुकसान को सीमित किया जा सके. उन्होंने क्षमता निर्माण उपायों पर बल देते हुए कहा कि राज्य में 47390 स्वयंसेवकों को प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है. आपदा प्रभावित क्षेत्रों में उनकी सेवाएं सुनिश्चित की जाएंगी.
आपदा हेल्पलाइन से जोड़ने के निर्देश:सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि आपदा संबंधी हेल्पलाइन नंबर 1077 और 1070 के अतिरिक्त एक अन्य हेल्पलाइन नंबर 1100 को भी इसमें जोड़ा जाना चाहिए. ताकि आपदा के समय प्रभावितों को समय पर समुचित सहायता उपलब्ध करवाई जा सके. उन्होंने नागरिक सुरक्षा ढांचे को मजबूत करने पर भी बल दिया और कहा कि इसके लिए युवा पीढ़ी को प्रशिक्षित किया जाना चाहिए ताकि आपदा के समय एकजुट प्रतिक्रिया सुनिश्चित की जा सके.