शिमला: मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि विधानसभा का ये मानसून सत्र हमेशा याद किया जाएगा. यह सबसे लंबा मानसून सत्र रहा है. यह सत्र विपरीत परिस्थितियों में आयोजित किया गया है. यह सत्र किया जाए या ना किया जाए इस पर भी विचार किया गया. मुख्यमंत्री ने कहा कि इस बात पर भी विचार किया गया कि सत्र एक दिन का भी किया जा सकता है, लेकिन पिछला सत्र भी कोरोना संक्रमण के कारण जल्द खत्म करना पड़ा था.
मुख्यमंत्री ने कहा कि बहुत सारे पड़ोसी राज्य भी इतना लंबा सत्र आयोजित करने को लेकर हैरान थे. उन्होंने कहा कि यह भी इतिहास का हिस्सा रहेगा जब विपक्ष की ओर से नियम 67 के तहत चर्चा के लिए प्रस्ताव लाया गया और उसे हमने स्वीकार किया.
मुख्यमंत्री ने कहा कि महामारी के दौर में नियमों में भी सार्थक चर्चा होनी चाहिए. वहीं, नियम के तहत 15 सदस्य विपक्ष की तरफ से 14 सदस्य सत्तापक्ष की ओर से बोले. यह चर्चा 2 दिन से अधिक समय तक चली. इस विषय पर लंबी और सार्थक चर्चा से संतुष्ट हूं. इस बार का यह सत्र अलग परिस्थितियों का सत्र, मानसून का लंबा सत्र और नियम 67 की चर्चा के लिए जाना जाएगा. मुख्यमंत्री ने कहा कि हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने भी उनसे तना लंबा सत्र आयोजित करवाने को लेकर पूछा. इस पर उन्हें बताया कि सत्र के दौरान कोरोना संक्रमण को लेकर चर्चा की गई.
मुख्यमंत्री ने कहा सभी विषयों पर कभी चर्चा नहीं की जा सकती. इसलिए सदन में पहली बार राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर भी सदन में चर्चा हुई. भारत के इतिहास में हिमाचल पहला राज्य हैं, जहां नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर चर्चा की गई. मुख्यमंत्री ने कहा इस सत्र में नए मंत्रियों का परिचय भी करवाया गया है. सभी नए मंत्रियों ने अच्छे से सदन में जवाब दिया. विधायक निधि की बहाली पर बोलते हुए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि विधायक निधि पूरी न सही तो थोड़ी ही बहाल करने को लेकर प्रदेश सरकार ने फैसला लिया है.