शिमला. प्रदेश सरकार मौजूदा शैक्षणिक अधोसंरचना को मजबूत करने पर विशेष ध्यान देने के साथ राज्य में छात्रों को गुणात्मक शिक्षा देने के लिए प्रतिबद्ध है, ताकि छात्रों को प्रदेश में ही उच्च शिक्षा प्राप्त हो और वह अपनी क्षमताओं के अनुसार राज्य और राष्ट्रीय स्तर की प्रतिस्पर्धाओं में भाग ले सकें. यह बात मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने शनिवार को शिक्षा विभाग की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए कही.
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार ने उच्च शिक्षण संस्थानों के समग्र विकास के लिए राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान (रूसा) के अंतर्गत हिमाचल प्रदेश राज्य उच्चतर शिक्षा परिषद् का गठन किया है. उन्होंने कहा कि राज्य परियोजना निदेशालय रूसा, प्रदेश में उच्च शिक्षा की पहुंच, समानता और गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए प्रयासरत है. उन्होंने कहा कि रूसा के अंतर्गत मिलने वाला अनुदान नैक (एनएएसी) द्वारा मान्यता पर निर्भर करता है, जिसके कारण विभिन्न कॉलेजों में एक स्वस्थ प्रतिस्पर्धा शुरू होगी. इससे सभी कॉलेज नैक मान्यता हासिल करने के लिए प्रेरित होंगे.
जयराम ठाकुर ने कहा कि सरदार वल्लभभाई पटेल कलस्टर विश्वविद्यालय मंडी की स्थापना रूसा के दिशा-निर्देशों अनुसार की गई है. उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने इस विश्वविद्यालय के लिए 55 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं, जिसमें से 27.50 करोड़ रुपये आवंटित कर दिए गए हैं. उन्होंने अधिकारियों को इस काम में तेजी लाने के निर्देश दिए, ताकि छात्रों को बेहतर सुविधाएं मिल सकें.
उन्होंने कहा कि भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला में अधोसंरचना, 26 महाविद्यालयों में अधोसंरचना, चंबा जिला के लिल्लह कोठी में नए मॉडल डिग्री कॉलेज, डीएवी सेंटनरी महाविद्यालय कोटखाई और राजकीय महाविद्यालय चंबा के स्तरोन्नयन के लिए रूसा के अंतर्गत वर्ष 2018 में 92 करोड़ रुपये स्वीकृत किए थे.
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में 929 उच्च और 1871 वरिष्ठ माध्यमिक पाठशालाओं के अतिरिक्त 138 राजकीय महाविद्यालय छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि वर्तमान वित्त वर्ष के दौरान शिक्षा क्षेत्र में विभिन्न घटकों में 3,671.95 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं. उन्होंने कहा कि साल 2020-21 के दौरान भवनों और शैक्षिक अधोसंरचना के लिए 116.37 करोड़ रुपये निर्धारित किए गए.