शिमला: मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि राज्य के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 15 प्रतिशत हिस्सा संरक्षित क्षेत्र के अधीन आता है. राज्य में पांच राष्ट्रीय पार्क, 25 वन्य जीव अभ्यारण्य और तीन प्राकृतिक संरक्षण क्षेत्र हैं. राज्य सरकार विभिन्न विलुप्त प्रजातियों के संरक्षण के लिए राज्य में वन्य जीव संरक्षण कानून को सख्ती से लागू कर रही है. उन्होंने प्रदेश में ट्रैगोपेन के कैप्टिव प्रजनन की सफलता पर खुशी जाहिर की है.
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने हिमाचल प्रदेश वन्य प्राणी बोर्ड की 9वीं बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि विकास और पारिस्थितिकी संरक्षण में बेहतर तालमेल समय की जरूरत है. मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमालयी राज्य होने के नाते हिमाचल प्रदेश के पारिस्थितिकी संतुलन में वन महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं और राज्य सरकार वनीकरण पर विशेष ध्यान दे रही है. इस साल 1.20 करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. उन्होंने कहा कि राज्य के वनों में समृद्ध जैव-विविधता है. पशुओं को चारा, ईमारती लकड़ी और चिकित्सीय पौधों की उपलब्धता के अलावा विभिन्न प्रकार के वन्य जीवों की प्रजातियों को भी आश्रय प्रदान करते हैं. उन्होंने मानवता के कल्याण के लिए पारिस्थितिकी संतुलन की जरूरत पर बल दिया.
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार पौंग बांध जलाशय को पर्यटन आकर्षण के रूप में विकसित करने का प्रयास कर रही है. इस जलाशय में हर साल बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षी आते हैं, जिसके कारण यह पक्षी प्रेमियों के लिए आकर्षण का बड़ा केंद्र है. उन्होंने कहा कि सरकार वन्य जीव क्षेत्रों में विभिन्न विकासात्मक गतिविधियां सुनिश्चित कर रही है, जिससे पारिस्थितिकी तंत्र और वन्य जीवन को कम से कम नुकसान हो. सीएम ने कहा कि पर्यावरण और वन्य प्राणियों का संरक्षण हमारा नैतिक कर्तव्य है, क्योंकि यह स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है.
जयराम ठाकुर ने कोविड-19 महामारी के दौरान वन विभाग द्वारा चलाई जा रही विभिन्न गतिविधियों की सराहना की. उन्होंने कहा कि थुनाग, पंजुत-लम्बा सफर-चिलमगढ़-शिकारी माता सड़क के उन्नयन के लिए शिकारी देवी वन्य जीव अभ्यरण्य में 2.80 हेक्टेयर वन भूमि के परिवर्तन के मामले को उपयुक्त प्राधिकरण के समक्ष उठाया जाएगा. उन्होंने कहा कि इस सड़क के स्तरोन्नयन से स्थानीय लोगों के अलावा हर साल शिकारी माता आने वाले पर्यटकों को भी सुविधा मिलेगी.
मुख्यमंत्री ने दोहरानाला-शिल्लीराजगिरी (चेष्टा) सड़क को कुल्लू जिला के लौट और रोहतांग गांवों तक विस्तार देने के लिए खोखण वन्य जीव अभ्यरण्य से 1.55 हेक्टेयर वन भूमि को परिवर्तित करने के लिए विभाग को निर्देश दिए.