शिमला: हिमालय राज्यों के मुख्यमंत्री के सम्मेलन से लौट के शिमला पहुंचे मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि हिमालय राज्यों की अपनी परेशानियां है. इन परेशानियों और जरूरतों को ध्यान में रख कर ही नीति आयोग और सरकार को नीतियां बनानी चाहिए. उन्होंने कहा कि पहाड़ी राज्यों को कई प्रकार के सेक्रिफाइज करने पड़ते हैं इसलिए केंद्र से अधिक सहायता मिलनी चाहिए.
मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल प्रदेश का लगभग 66 प्रतिशत भौगोलिक क्षेत्र वन क्षेत्र है और अगर राज्य को पारिस्थितिकीय रूप से व्यवहारिक और वन क्षेत्र में वैज्ञानिक तौर पर वृद्धि की अनुमति मिलती है तो प्रदेश को लगभग चार हजार करोड़ रुपये का अतिरिक्त वार्षिक राजस्व हासिल हो सकता है. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय कानूनों और अदालतों के आदेशों के कारण राज्य न तो अपनी वन सम्पदा से पूर्ण रूप से राजस्व प्राप्त कर पा रहा है और न ही बड़े पैमाने पर भौगोलिक क्षेत्रों में विकासात्मक गतिविधियां कार्यान्वित कर पा रहा है इसलिए, वन सम्पदा का सम्पूर्ण दोहन करने पर पाबंदी के एवज में हिमाचल प्रदेश को हो रहे करोड़ों रुपये के राजस्व के नुकसान के लिए समुचित मुआवजा दिया जाना चाहिए.
जयराम ठाकुर ने वित्त आयोग व केन्द्र सरकार से राजस्व घाटे वाले राज्यों को पर्याप्त अनुदान देने का आग्रह किया ताकि इन राज्यों के पास पूंजी निवेश के लिए पर्याप्त धन उपलब्ध हो. उन्होंने कहा कि हिमाचल में जीएसटी से आने वाले राजस्व में भारी गिरावट दर्ज की गई है. उन्होंने वित्त आयोग से राज्य को शेष 33 महीनों के लिए जीएसटी की उचित दरों का आग्रह किया. उन्होंने कहा कि राज्य में पर्यटन की अपार क्षमता है, लेकिन रेल और हवाई यातायात की उपलब्धता एक बड़ी बाधा है इसलिए प्रदेश में एक बड़े हवाई अड्डे का निर्माण बहुत आवश्यक है. उन्होंने कहा कि हिमालयी राज्यों में सड़कों का निर्माण बहुत मंहगा है जबकि नेटवर्क लगभग न के बराबर है. उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 276 व 280 के अंतर्गत आर्थिक रूप से कमजोर और कम राजस्व वाले राज्यों को पर्याप्त अनुदान प्रदान करने का प्रावधान किया गया है.
जयराम ठाकुर ने कहा कि पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण हिमालयी राज्य विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं के प्रति बहुत संवेदनशील हैं. इसलिए यह जरूरी है कि केन्द्र सरकार एसडीआरएफ के अन्तर्गत इन राज्यों को धन का पर्याप्त आवंटन सुनिश्चित बनाए. मुख्यमंत्री ने कहा कि देश की अधिकांश नदियों का उद्गम हिमालय से होता है और हिमालयी राज्य प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की जल संरक्षण पहल में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं. उन्होंने कहा कि अधिकांश हिमालयी राज्यों को वित्त प्रबंधन के लिए केन्द्र सरकार और योजना आयोग पर निर्भर रहना पड़ता है, लेकिन योजना आयोग को बन्द किए जाने से इन राज्यों को वित्तीय कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि हिमाचल सरकार गंभीर प्रयास कर रही है कि सतत् विकास के लक्ष्य को वर्ष 2030 के बजाय 2022 तक प्राप्त कर लिया जाए लोगों के 'इज ऑफ लिविंग' स्तर को भी बढ़ाया जाए.