शिमलाः सीटू राज्य कमेटी हिमाचल प्रदेश ने लेबर बिल, बिजली विधेयक 2020 को मजदूर और कर्मचारी विरोधी बताया है. वहीं, सीटू ने शिमला में लेबर बिल, बिजली विधेयक और आम बजट को देश के खिलाफ खिलाफ बताते हुए प्रदर्शन किया. सीटू ने बजट को पूर्णतः मजदूर, कर्मचारी और किसान विरोधी करार दिया है.
'पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए बना बजट'
सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा ने कहा है कि केंद्र की मोदी सरकार पूरी तरह पूंजीपतियों के साथ दे रही है और आर्थिक संसाधनों को आम जनता से छीनकर अमीरों के हवाले करने में लगी हुई है. सीटू ने मांग की है कि मजदूर विरोधी चार लेबर बिल, तीन कृषि कानून, बिजली विधेयक 2020 को तुरंत वापिस लिया जाए. ऐसा ना होने पर उग्र आंदोलन किया जाएगा. उन्होंने कहा कि बजट में बैंक, बीमा, रेलवे, एयरपोर्ट, बंदरगाहों, ट्रांसपोर्ट, गैस पाइप लाइन, बिजली सहित ज्यादातर सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का निजीकरण करके उन्हें बेचने का रास्ता खोल दिया गया है. ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के नारे की आड़ में मजदूर विरोधी लेबर कोडों को अमलीजामा पहनाकर यह बजट 'इंडिया ऑन सेल' का बजट है.
मनरेगा के बजट में की 41 प्रतिशत कटौती
विजेंद्र मेहरा ने कहा कि सरकार ने मनरेगा के बजट में 41 प्रतिशत कटौती की है, जबकि देश में कोरोना महामारी के कारण उद्योग और अन्य क्षेत्रों में काम धंधे बंद हो चुके थे. ऐसे समय में मजदूरों व बेरोजगार जनता के लिए मनरेगा रोजगार का सबसे बड़ा साधन बनकर उभरा था. मनरेगा में बजट कटौती से देश में बेरोजगारी और बढ़ेगी.
आंगनबाड़ी कर्मियों के बजट में की 30 प्रतिशत कटौती
कोरोना वॉरियर की बेहतरीन भूमिका अदा करने वाले आंगनबाड़ी कर्मियों के बजट में सरकार ने 30 प्रतिशत कटौती कर दी है. बच्चों की शिक्षा में अहम योगदान देने वाली मिड डे मील योजना के बजट में 1400 करोड़ रुपये की कटौती कर दी गई है. जॉब व स्किल डेवेलपमेंट के बजट में 35 प्रतिशत की कटौती कर दी गयी है.
सरकार ने 15वें वित्त आयोग की सिफारिश अनुसार कई केंद्रीय योजनाओं को खत्म करने का ऐलान किया है. देश में सबसे कम वेतन लेने वाले योजना कर्मियों जिन्हें सरकार की ओर से घोषित न्यूनतम वेतन भी नहीं मिलता है,उनके बजट में भारी कटौती की गई है. लेकिन खजाना खाली होने का रोना रोने वाली केन्द्र सरकार ने पूंजीपतियों से साढ़े 10 लाख करोड़ रुपये के बकाया टैक्स को वसूलने पर एक शब्द तक नहीं बोला है.
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