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दलितों पर हमले के विरोध में सीटू ने शिमला में दिया धरना, SC-ST एक्ट को मजबूत करने की मांग - CITU protest

सीटू ने शिमला के डीसी ऑफिस के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया. इस दौरान सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा ने कहा कि देश में दलितों, महिलाओं और पिछड़ों पर हमले लगातार बढ़ रहे हैं. उनका शोषण बढ़ रहा है.

सीटू का विरोध प्रदर्शन
सीटू का विरोध प्रदर्शन

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Published : Oct 13, 2020, 4:45 PM IST

शिमला:सीटू, अखिल भारतीय किसान सभा और अखिल भारतीय खेत मजदूर यूनियन के संयुक्त राष्ट्रीय आह्वान पर शिमला के डीसी ऑफिस में मजदूरों ने जोरदार प्रदर्शन किया. इस दौरान सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा, प्रदेश उपाध्यक्ष जगत राम, किसान सभा नेता राकेश सिंघा समेत कई लोग प्रदर्शन में शामिल हुए.

सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा ने कहा कि देश में दलितों, महिलाओं और पिछड़ों पर हमले लगातार बढ़ रहे हैं. उनका शोषण बढ़ रहा है. उनके दमन में निरन्तर इजाफा हो रहा है. उनकी हत्याओं की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं. महिलाओं से बलात्कार की घटनाओं में भी वृद्धि हुई है. नेशनल क्राइम ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार पिछले पांच वर्षों में दलितों, महिलाओं और पिछड़ों पर अत्याचार लगातार बढ़ा है. पिछले वर्षों की तुलना में कई गुना ज्यादा हुआ है.

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सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा ने कहा कि हाथरस की घटना इसका ज्वलन्त उदाहरण है जहां पर न केवल दलित युवती का बलात्कार किया गया बल्कि उसकी रीढ़ और गले की हड्डी तोड़ दी गयी. युवती का समय पर न तो प्रदेश सरकार की ओर से इलाज करवाया गया और न ही कई दिनों तक दोषियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई. युवती की मौत होने पर रात को ढाई बजे उसकी लाश को परिजनों की अनुपस्थिति में आनन-फानन में मिट्टी का तेल डालकर जला दिया गया.

युवती के परिजनों को पुलिस और प्रशासन ने बुरी तरह डराया धमकाया गया. परिजनों से प्रशासनिक अधिकारियों के संवेदनहीन बर्ताव किया गया. मीडिया तक को कई दिनों तक युवती के परिजनों से नहीं मिलने दिया गया. उत्तर प्रदेश सरकार ने पीड़ित के परिजनों का नार्को टेस्ट करवाने की बात से सरकार की संवेदनहीनता साफ नजर आती है. इस से स्पष्ट होता है कि उत्तर प्रदेश सरकार व प्रशासन दोषियों को बचाने में लगे हुए थे.

सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा ने मांग कि है कि एससी एसटी एक्ट को मजबूत किया जाए. हाथरस घटना के दोषियों को कड़ी सजा दी जाए. इस घटनाक्रम की निष्पक्ष जांच सुप्रीम कोर्ट के न्यायधीश की अध्यक्षता में करवाई जाए. पीड़ित के परिवार को सुरक्षा दी जाए. दलितों, महिलाओं और पिछड़ों पर अत्याचार करने वालों को सख्त सजा दी जाए.

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