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शिमला: किसानों के समर्थन में आए वामपंथी संगठन, ऐतिहासिक आंदोलन के लिए दी बधाई - Shimla CITU protest news

राजधानी शिमला में सीटू सहित अन्य संगठनों ने अपनी मांगों और तीन किसान विरोधी कानूनों को लेकर संघर्षरत किसानों के आंदोलन का पुरजोर समर्थन किया है. हिमाचल किसान सभा,जनवादी महिला समिति,डीवाईएफआई,एसएफआई,दलित शोषण मुक्ति मंच जैसे संगठनों ने केंद्र व हरियाणा सरकार द्वारा किए जा रहे किसानों के बर्बर दमन की कड़ी निंदा की है.

CITU shimla protest
किसानों के समर्थन में आए वामपंथी संगठन

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Published : Dec 3, 2020, 6:26 PM IST

शिमला: राजधानी शिमला में सीटू सहित अन्य संगठनों ने अपनी मांगों और तीन किसान विरोधी कानूनों को लेकर संघर्षरत किसानों के आंदोलन का पुरजोर समर्थन किया है. हिमाचल किसान सभा, जनवादी महिला समिति, डीवाईएफआई, एसएफआई, दलित शोषण मुक्ति मंच जैसे संगठनों ने केंद्र व हरियाणा सरकार द्वारा किए जा रहे किसानों के बर्बर दमन की कड़ी निंदा की है.

किसानों के आंदोलन के समर्थन में प्रदेश भर के मजदूरों, किसानों, महिलाओं, युवाओं, छात्रों व सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े तबकों द्वारा राज्यभर में प्रदर्शन करके किसानों के साथ एकजुटता प्रकट की गई. इस दौरान जिला व ब्लॉक मुख्यालयों में जबरदस्त प्रदर्शन किए गए.

किसानों को दबाने पर आमादा है भाजपा सरकार

किसान सभा प्रदेशाध्यक्ष डॉ. कुलदीप तंवर ने कहा है कि भाजपा सरकार किसानों को दबाने पर आमादा हैं जोकि बेहद निंदनीय है. डॉ. कुलदीप ने भाजपा सरकारों को तानाशाह करार दिया है. उन्होंने कहा है कि किसान आंदोलन को दबाने से जाहिर हो चुका है कि ये दोनों भाजपा सरकारें पूंजीपतियों व नैगमिक घरानों के साथ हैं और उनकी मुनाफाखोरी को सुनिश्चित करने के लिए किसानों की आवाज को दबाना चाहती हैं.

किसानों को ऐतिहासिक आंदोलन के लिए बधाई

डॉ. कुलदीप तंवर ने देश के किसानों को ऐतिहासिक आंदोलन के लिए बधाई दी है, जिसमें करोड़ों किसान शामिल हो चुके हैं. साथ ही कहा है कि मोदी सरकार द्वारा लाए गए तीनों नए कृषि कानून पूरी तरह से किसान विरोधी हैं. इसके कारण किसानों की फसलों को कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग के जरिए विदेशी और देशी कंपनियों और बड़ी पूंजीपतियों के हवाले करने की साजिश रची जा रही है.

जमाखोरी और मुनाफाखोरी को मिलेगा बढ़ावा

इन कानूनों से फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य की अवधारणा को समाप्त कर दिया जाएगा. आवश्यक वस्तु अधिनियम के कानून को खत्म करने से जमाखोरी, कालाबाजारी व मुनाफाखोरी को बढ़ावा मिलेगा. इससे बाजार में खाद्य पदार्थों की बनावटी कमी पैदा होगी व खाद्य पदार्थ महंगे हो जाएंगे. कृषि कानूनों के बदलाव से बड़े पूंजीपतियों और देशी-विदेशी कंपनियों का कृषि पर कब्जा हो जाएगा और किसानों की हालत दयनीय हो जाएगी.

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