शिमला: कोरोना संकट ने बहुत कुछ बदल दिया है. इसका असर बड़े पर्दे पर भी पड़ा, लेकिन अब जब अनलॉक-1 चल रहा है. सिनेमा मालिकों को डर सताने लगा है कि सिनेमा हॉल की खाली पड़ी सीटों पर कब लोग आकर अपने पंसदीदा कलाकारों की फिल्में देखेंगे. सोशल डिस्टेंसिंग के चलते टॉकीज का खर्चा पूरा हो पाएगा या नहीं यह भी चिंता का विषय है. थियेटर के मालिक अभी तक कर्मचारियों को जेब से पैसा देते रहे, लेकिन ऐसा कब तक चलेगा उन्हें भी नहीं पता. सिनेमा मालिक चाहते हैं कि सरकार आगे आकर कुछ मदद करे, ताकि रुपहले पर्दे से कोरोना की बुरी नजर हटे और लोग मनोरंजन कर सकें.
सिनेमा हॉल बंद, खर्चा जारी
सिनेमा हॉल बंद होने से कारोबार पूरी तरह से बंद पड़ा है, लेकिन इसके बाद भी मेंटेनेंस और यहां काम करने वाले कर्मचारियों को वेतन देने के लिए खर्च हो रहा है. कर्मचारियों को वेतन कैसे दिया जाए इसकी चिंता सता रही है. अनलॉक-1 के पहले चरण में जहां काफी कुछ छूट सरकार ने दी, लेकिन बावजूद उसके अभी सिनेमाघरों को ना खोलने के आदेश जारी होने से सिनेमा हॉल के मालिक काफी परेशान हैं. वहीं, सरकार की तरफ से भी अभी तक किसी तरह की कोई सहायता नहीं मिली. जिससे स्थिति और ज्यादा खराब होती जा रही. अब ऐसे में सिनेमा मालिकों की आस सिर्फ सरकार पर टिक गई है. बंद पड़े सिनेमा हॉल के जो महंगे बिल बिजली, पानी के दिए जा रहे उनमे सरकार कुछ रियायत की घोषणा करे.
फरवरी से बंद सिनेमा हॉल
शिमला में सबसे पुराने शाही थिएटर के मैनेजर हरीश पाल ने बताया सर्दियों में बर्फबारी के चलते कम ही लोग सिनेमा हॉल तक पहुंचते हैं. फरवरी से सिनेमा हॉल बंद पड़ा है. आमदनी कुछ भी नहीं हुई, लेकिन बिजली-पानी सहित कर्मचारियों को वेतन और राशन की व्यवस्था करना पड़ रही है. सरकार को इस दिशा में सोचकर रियायत देना चाहिए. बंद पड़े सिनेमा हॉल भी खराब हो रहे इससे उनके खर्चे में और इजाफा हो रहा.