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फर्जी डिग्री मामले में मानव भारती के बाद एपीजी यूनिवर्सिटी पर सीआईडी का शिकंजा - etv himachal pradesh news

हिमाचल प्रदेश में फर्जी डिग्री मामले में निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग ने कार्रवाई की है. निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग ने मानव भारती और एपीजी  यूनिवर्सिटीज में नए सत्र के लिए दाखिले पर रोक लगा दी है. मानव भारती यूनिवर्सिटी के बाद सीआईडी की टीम ने अब एपीजी यूनिवर्सिटी पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है.

फर्जी डिग्री मामले
CID screws

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Published : Jan 9, 2021, 6:26 PM IST

Updated : Jan 9, 2021, 6:53 PM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश में फर्जी डिग्री मामले में निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग ने कार्रवाई की है. निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग ने मानव भारती और एपीजी यूनिवर्सिटीज में नए सत्र के लिए दाखिले पर रोक लगा दी है. बता दें कि दोनों यूनिवर्सिटीज पर पांच लाख से अधिक फर्जी डिग्रियां बेचने का आरोप है.

मामले की जांच में सीआईडी पंहुची दिल्ली

मानव भारती यूनिवर्सिटी के बाद सीआईडी की टीम ने अब एपीजी यूनिवर्सिटी पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है. फर्जी डिग्री मामले में सीआईडी की टीम ने दिल्ली का रुख किया है. बीते 4 दिनों से सीआईडी की टीम दिल्ली में है, और स्थानीय पुलिस की मदद से फर्जी डिग्री मामले की जांच कर रही है. इस दौरान सीआईडी सभी जगह जा कर मामले की छानबीन कर रही है. गौरतलब है कि फर्जी डिग्री मामले में सीआईडी ने जुलाई 2020 में शिमला स्थित एपीजी यूनिवर्सिटी के खिलाफ सीआईडी पुलिस स्टेशन भराड़ी में आईपीसी की धारा-465,467,471,120B तहत मामला दर्ज किया है.

लॉ विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष ने दी थी फर्जीवाडे की खबर

फर्जी डिग्री को लेकर शिमला स्थित एपीजी विश्वविद्यालय के खिलाफ पुलिस को 25 सितंबर 2019 में शिकायत मिली थी. एपीजी के लॉ विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष ने ये लिखित शिकायत छोटा शिमला थाने में दी थी. आपको बता दे कि मानव भारती यूनिवर्सिटी की जांच एसआईटी की टीम कर रही है जबकि एपीजी की जांच सीआईडी की टीम को सौंपी गई है.

200 से ज्यादा फर्जी डिग्री

एसआईटी की शुरूआती जांच में पता चला है कि 200 से ज्यादा फर्जी डिग्री पाई गई हैं. इन डिग्रियों का कोई रिकार्ड नहीं मिला, जिसके चलते इनके फर्जी होने का पता चल रहा है. जानकारी ये भी मिली है कि जांच टीम को पूरा रिकॉर्ड नहीं सौंपा गया. कुछ ही सालों का रिकार्ड पेश किया गया, जिसमें इन डिग्रियों का रिकॉर्ड शामिल नहीं है. ये भी पता चला है कि एपीजी प्रशासन ने रिकॉर्ड तक जला दिया है. जब इस बारे में पूछताछ की गई तो विश्वविद्यालय प्रशासन इस बारे में कोई संतोषजनक जबाव नहीं दे पाया.

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Last Updated : Jan 9, 2021, 6:53 PM IST

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