शिमला: विधानसभा के मानसून सत्र के अंतिम दिन हिमाचल प्रदेश कृषि उपज विपणन विधेयक, 2019 पर स्वीकृति की मोहर नहीं लग पाई. शनिवार को पक्ष-विपक्ष के सदस्यों की आपत्ति के बाद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के हस्तक्षेप पर इस विधेयक को सलैक्ट कमेटी को भेजने का निर्णय लिया गया है.
प्रदेश कृषि उपज विपणन विधेयक पर नहीं लगी मोहर, माकपा विधायक ने लगाए ये आरोप - प्रदेश कृषि उपज विपणन विधेयक
विधानसभा के मानसून सत्र के अंतिम दिन प्रदेश कृषि उपज विपणन विधेयक को विपक्ष के सदस्यों की आपत्ति के कारण स्वीकृति नहीं मिल पाई. जिस वजह से मुख्यमंत्री ने इस विधेयक को सलैक्ट कमेटी को भेजने का निर्णय लिया गया है.
बता दें कि माकपा विधायक राकेश सिंघा ने आरोप लगाया है कि इस विधेयक को लाकर सरकार अदानी और रिलायंस जैसे बडे़ घरानों को लाभ पहुंचाना चाहती है. उन्होंने कहा कि पहले ही आढ़तियों ने प्रदेश के किसान-बागवानों की राशि दबाई है, ऐसे में नए कानून में बडे़ घरानों के अनुमति देने से स्थिति और खराब हो जाएगी. उन्होंने कहा कि लाइसैंस टेडर को छूट देना गलत है, जिससे प्रदेश के 9 लाख किसान परिवारों के हितों से खिलवाड़ होगा.
कृषि मंत्री डॉ. रामलाल मारकंडा ने कहा कि आढ़ती और अदानी प्रदेश का 20 करोड़ लेकर निगल गए, जिसको लेकर 102 एफआईआर भी दर्ज की गई हैं. उन्होंने कहा कि यह विधेयक प्रदेश के 9 लाख 61 हजार किसानों के हितों को संरक्षण प्रदान करेगा. जिस कानून को सरकार सदन में पास करने के लिए लाई है, उसे देश के 18 राज्यों ने अपनाया है. ऐसे में सरकार पीछे नहीं रहना चाहती. इस कानून से बैरियर पर लगने वाली फीस भी खत्म हो जाएगी.