शिमला: प्रदेश सरकार ने राज्य में 2 नवंबर से शैक्षणिक संस्थानों को खोलने का फैसला ले लिया गया है. इस तय तिथि से प्रदेश में जहां नौंवी कक्षा से लेकर बाहरवीं कक्षा के छात्रों की नियमित कक्षाएं स्कूलों में लगाई जाएंगी तो वहीं सभी कॉलेजों में छात्रों की कक्षाएं सुचारू रूप से लगाई जाएंगी.
सरकार ने स्कूल खोलने का फैसला कर लिया है और अब मार्च माह से बंद पड़े यह स्कूल नवंबर माह में खुलने जा रहे हैं. स्कूल तो खोले जा रहे हैं, लेकिन इसे खोलने को लेकर चुनौतियां कम नहीं है. कोविड-19 का खतरा अभी टला नहीं है और रोजना स्कूलों ने शिक्षक और गैर शिक्षक कर्मचारी कोरोना पॉजिटिव आ रहे हैं.
ऐसे में अभिभावकों के लिए अब यह समझना ही मुश्किल हो गया है कि वह किस तरह से नियमित कक्षाओं को लगाने के लिए अपने बच्चों को स्कूल भेजें. वो भी तब जब सरकार किसी भी तरह की कोई जिम्मेदारी बच्चों की नहीं लेना चाहती है और सारी बात अभिभावकों पर छोड़ी जा रही है.
वहीं, विभाग भी यह बोल कर अपना पल्ला झाड़ता दिख रहा है की स्कूलों को खोलने का यह फ़ैसला अभिभावकों की राय के आधार पर ही लिया गया है. अलग-अलग तरीके से और ई-पीटीएम के माध्यम से विभाग और स्कूलों ने स्कूल खोलने और नियमित कक्षाएं लगाने को लेकर राय अभिभावकों से मांगी थी, जिसके आधार पर ही अब नौंवी से बाहरवीं कक्षा तक के छात्रों के लिए अब स्कूल खोले जा रहे हैं.
हालांकि विभाग इसकी जिम्मेदारी अभिभावकों पर ही छोड़ते हुए यह कह रहा है कि छात्रों को स्कूल आने के लिए अपने अभिभावकों का अनुमति पत्र साथ में लाना होगा, जिसने अभिभावकों की चिंता को और अधिक बढ़ा दिया है.
अभिभावकों की चिंता तो लाजमी है ही, लेकिन स्कूल प्रबंधन की भी मुश्किलें स्कूलों को खोलने को लेकर कम नहीं है. हर स्कूल ने अपने इंफ्रास्ट्रक्चर के अनुसार छात्रों की नियमित कक्षाएं लगाने को लेकर अपना माइक्रो प्लान तो तैयार कर दिया है, लेकिन अब जब स्कूलों में शिक्षक और स्टाफ ही पॉजिटिव आने लगा है तो किस तरह से व्यवस्था को बनाया जाए यह बड़ी परेशानी बन रहा है.
अपनी तरफ से थर्मल सकैंनिग के साथ ही हैंड सेनिटाइजेशन और सोशल डिस्टेंसिंग के साथ कक्षाएं लगाने की तैयारी तो स्कूलों ने कर ली है, लेकिन अब विभाग ने यह निर्देश जारी कर दिए हैं कि फ्लू के लक्षण वाले शिक्षकों, गैर शिक्षकों के साथ ही छात्रों को स्कूल ने प्रवेश नहीं दिया जाएगा.