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वो तीन केस, जहां फेल हो गई थी गुड़िया केस को साइंटिफिक एवीडेंस से सुलझाने वाली सीबीआई

प्रदेश में इस वक्त लोग गुड़िया रेप एंड मर्डर केस के दोषी नीलू को सुनाए जाने वाली सजा का इंतजार कर रहे हैं. ऐसे में हिमाचल के उन मामलों का जिक्र भी जरूरी है, जहां सीबीआई नाकाम रही है. इस तीन मामलों में दो कत्ल के केस थे और एक एंटीक पीस की चोरी से जुड़ा मामला है. एंटीक पीस चोरी के तार इंटरनेशनल तस्करों से जुड़ते थे.

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Published : Jun 9, 2021, 10:20 PM IST

शिमला: हिमाचल में सत्ता की नींव को हिला देने वाले गुड़िया दुष्कर्म व हत्या मामले में बेशक सीबीआई(CBI) के हाथ सफलता लगी हो, लेकिन राज्य के तीन अपराध केस ऐसे भी हैं, जहां देश की तेजतर्रार जांच एजेंसी नाकाम साबित हुई है. इस तीन मामलों में दो कत्ल के केस थे और एक एंटीक पीस की चोरी से जुड़ा मामला है. एंटीक पीस चोरी के तार इंटरनेशनल तस्करों से जुड़ते थे, लेकिन सीबीआई उसे सॉल्व नहीं कर पाई.

इन सभी मामलों पर विस्तार से बात करने से पहले हिमाचल के बहुचर्चित गुड़िया रेप एंड मर्डर केस की बात करना जरूरी है. सीबीआई ने इस जटिल केस को साइंटिफिक एवीडेंस जुटा कर सॉल्व किया है. हिमाचल हाईकोर्ट की फटकार और प्रदेश की जनता के रोष का सीबीआई पर भारी मानसिक दबाव था. एजेंसी की महिला ऑफिसर सीमा पाहूजा इस केस में जांच अधिकारी थीं और नौ महीने के सक्रिय प्रयासों के बाद सीबीआई गुड़िया के गुनहगार तक पहुंची थी. प्रदेश में इस वक्त लोग गुड़िया रेप एंड मर्डर केस के दोषी नीलू को सुनाए जाने वाली सजा का इंतजार कर रहे हैं. ऐसे में हिमाचल के उन मामलों का जिक्र भी जरूरी है, जहां सीबीआई नाकाम रही है.

छबील दास मर्डर केस

हिमाचल में वकालत की दुनिया में छबील दास एडवोकेट का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं है. कानून के गहरे जानकार छबील दास की मेधा के हाईकोर्ट के न्यायाधीश भी कायल थे. इन्हीं छबील दास का 1995 में मर्डर हो गया था. छबील दास के पास नेपाल के नौकर घरेलू काम के लिए मौजूद थे. उन्होंने मालिक की हत्या कर दी और फिर नेपाल भाग गए. एडवोकेट छबील दास शिमला में रहते थे और यहीं मिडल बाजार में उनका कार्यालय व निवास भी था.

नेपाली उनके नौकर थे. पहले पुलिस ने तफ्तीश की. चूंकि एडवोकेट छबील दास एक बड़ा नाम थे और लोगों में उनकी हत्या को लेकर रोष भी था, लिहाजा बाद में ये केस सीबीआई को दिया गया. नेपाल के साथ भारत की प्रत्यार्पण संधि नहीं है. यही कारण है कि नेपाली हिमाचल में अपराध करके वापिस भाग जाते हैं. छबील दास मर्डर केस में भी यही हुआ. जांच के बाद ये केस अनट्रेस घोषित कर दिया गया. इस तरह सीबीआई इस केस को अंजाम तक नहीं पहुंचा पाई.

कारोबारी हर्ष बालजीज के हत्यारे भी नहीं हुए ट्रेस

इसी तरह शिमला के मशहूर कारोबारी हर्ष बालजीज की हत्या का केस भी सीबीआई नहीं सुलझा पाई थी. हर्ष बालजीज कारोबार जगत का बड़ा नाम थे. शिमला में बालजीज रेस्त्रां (अब बंद) के मालिक हर्ष का कत्ल कर दिया गया था. ये बात वर्ष 2003 यानी आज से 18 साल पहले की है. हर्ष बालजीज को शिमला में आर्मी ट्रेनिंग कमांड के पास गोली मार दी गई थी. ये केस भी सीबीआई को सौंपा गया था. सीबीआई इस मामले में भी अपराधियों के गिरेबां तक नहीं पहुंच पाई थी.

IIAS में घंटा चोरी का मामला

इस कड़ी में नया और तीसरा अहम केस भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान(IIAS) से चोरी हुए एंटीक घंटे का है. नेपाल के राजा ने ये घंटा तत्कालीन ब्रिटिश हुकूमत के वायसराय को भेंट किया था. बेशकीमती धातुओं से निर्मित इस एंटीक घंटे की कीमत अंतराष्ट्रीय बाजार में अरबों रुपए की थी. एडवांस्ड स्टडी शिमला से ये घंटा चोरों ने चुरा लिया था. ये चोरी 21 अप्रैल 2010 को हुई थी. तब किसी ने संस्थान के गेट से इसे चुरा लिया था.

संस्थान के गेट पर ये लकड़ी के साथ बंधा हुआ था. पुलिस की तफ्तीश के बाद ये जांच हाईकोर्ट के दखल पर सीबीआई को ट्रांसफर की गई थी. सीबीआई ने इस केस की तफ्तीश में काफी पसीना बहाया, लेकिन शातिरों तक नहीं पहुंच पाई. ये दुर्लभ भेंट थी, जिसे नेपाल के राजा ने वर्ष 1903 में तत्कालीन ब्रिटिश हुकूमत के वायसराय को दिया था.

2015 में सीबीआई को सौंपी जांच

इस मामले में पुलिस दिसंबर 2013 तक चोरी करने वालों का सुराग नहीं लगा पाई थी. पुलिस ने अनट्रेस रिपोर्ट तैयार की तो भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान ने इस पर आपत्ति जताई और क्लोजर रिपोर्ट से संतुष्ट न होते हुए मामले की जांच सीबीआई से करवाने को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की. उस याचिका पर हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया था. अक्टूबर 2015 में हाईकोर्ट ने सीबीआई को जांच सौंपी थी.

सीबीआई की दिल्ली यूनिट से जांच टीमें शिमला पहुंची और शक के आधार पर कई लोगों से पूछताछ की. सीबीआई ने सुराग देने वाले को एक लाख रुपए इनाम का ऐलान भी किया था. हालांकि सीबीआई ने दावा किया है कि इस केस में उसे अहम सुराग हाथ लगे हैं, लेकिन गुनहगार पकड़ से बाहर ही रहे.

खाली रहे सीबीआई के हाथ

पुलिस की तर्ज पर सीबीआई ने भी इस केस की क्लोजर रिपोर्ट बनाई. इसे शिमला की एक कोर्ट में पेश किया गया और डेढ़ साल पहले ये केस भी अनसॉल्व्ड ही रहा. इसके अलावा फॉरेस्ट गार्ड होशियार सिंह के मर्डर अथवा सुसाइड की मिस्ट्री भी अभी पूरी तरह से सॉल्व नहीं हो पाई है. सीबीआई की इस मामले में जांच जारी है.

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