शिमला: हिमाचल में सत्ता की नींव को हिला देने वाले गुड़िया दुष्कर्म व हत्या मामले में बेशक सीबीआई(CBI) के हाथ सफलता लगी हो, लेकिन राज्य के तीन अपराध केस ऐसे भी हैं, जहां देश की तेजतर्रार जांच एजेंसी नाकाम साबित हुई है. इस तीन मामलों में दो कत्ल के केस थे और एक एंटीक पीस की चोरी से जुड़ा मामला है. एंटीक पीस चोरी के तार इंटरनेशनल तस्करों से जुड़ते थे, लेकिन सीबीआई उसे सॉल्व नहीं कर पाई.
इन सभी मामलों पर विस्तार से बात करने से पहले हिमाचल के बहुचर्चित गुड़िया रेप एंड मर्डर केस की बात करना जरूरी है. सीबीआई ने इस जटिल केस को साइंटिफिक एवीडेंस जुटा कर सॉल्व किया है. हिमाचल हाईकोर्ट की फटकार और प्रदेश की जनता के रोष का सीबीआई पर भारी मानसिक दबाव था. एजेंसी की महिला ऑफिसर सीमा पाहूजा इस केस में जांच अधिकारी थीं और नौ महीने के सक्रिय प्रयासों के बाद सीबीआई गुड़िया के गुनहगार तक पहुंची थी. प्रदेश में इस वक्त लोग गुड़िया रेप एंड मर्डर केस के दोषी नीलू को सुनाए जाने वाली सजा का इंतजार कर रहे हैं. ऐसे में हिमाचल के उन मामलों का जिक्र भी जरूरी है, जहां सीबीआई नाकाम रही है.
छबील दास मर्डर केस
हिमाचल में वकालत की दुनिया में छबील दास एडवोकेट का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं है. कानून के गहरे जानकार छबील दास की मेधा के हाईकोर्ट के न्यायाधीश भी कायल थे. इन्हीं छबील दास का 1995 में मर्डर हो गया था. छबील दास के पास नेपाल के नौकर घरेलू काम के लिए मौजूद थे. उन्होंने मालिक की हत्या कर दी और फिर नेपाल भाग गए. एडवोकेट छबील दास शिमला में रहते थे और यहीं मिडल बाजार में उनका कार्यालय व निवास भी था.
नेपाली उनके नौकर थे. पहले पुलिस ने तफ्तीश की. चूंकि एडवोकेट छबील दास एक बड़ा नाम थे और लोगों में उनकी हत्या को लेकर रोष भी था, लिहाजा बाद में ये केस सीबीआई को दिया गया. नेपाल के साथ भारत की प्रत्यार्पण संधि नहीं है. यही कारण है कि नेपाली हिमाचल में अपराध करके वापिस भाग जाते हैं. छबील दास मर्डर केस में भी यही हुआ. जांच के बाद ये केस अनट्रेस घोषित कर दिया गया. इस तरह सीबीआई इस केस को अंजाम तक नहीं पहुंचा पाई.
कारोबारी हर्ष बालजीज के हत्यारे भी नहीं हुए ट्रेस
इसी तरह शिमला के मशहूर कारोबारी हर्ष बालजीज की हत्या का केस भी सीबीआई नहीं सुलझा पाई थी. हर्ष बालजीज कारोबार जगत का बड़ा नाम थे. शिमला में बालजीज रेस्त्रां (अब बंद) के मालिक हर्ष का कत्ल कर दिया गया था. ये बात वर्ष 2003 यानी आज से 18 साल पहले की है. हर्ष बालजीज को शिमला में आर्मी ट्रेनिंग कमांड के पास गोली मार दी गई थी. ये केस भी सीबीआई को सौंपा गया था. सीबीआई इस मामले में भी अपराधियों के गिरेबां तक नहीं पहुंच पाई थी.
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