ठियोगः राजधानी से 12 किलोमीटर दूर छराबड़ा में एक निजी स्कूल में पड़ने वाले बच्चों के अभिवाहकों ने जागरूकता का परिचय दिया है. अभिवावकों को पिछले कुछ महीनों से एक स्कूल की एक खटारा बस की जानकारी मिली थी, जिस पर अभिभावकों ने स्कूल प्रशासन से जानकारी मांगी, लेकिन स्कूल प्रशासन ने चुप्पी साध ली.
अभिभावकों ने बस चालक से बस के कागज मांगे तो ड्राइवर कोई कागज न दिखा पाया. चालक अगले दिन बच्चों को स्कूल भी नहीं ले गया. बच्चे बस के इंतजार में खड़े रहे. स्कूल प्रशासन को जब पता चला तो आनन-फानन में बच्चों को निजी गाड़ियों में स्कूल पहुंचाया गया.
एक सीट पर बिठाए जा रहे 4-4 बच्चे बता दें कि बच्चों के इन दिनो परीक्षाएं चल रही है, अब वे परीक्षाएं भी देरी से करवाई जा रही है. इस पर अभिभावकों का गुस्सा सातवें आसमान पर चढ़ गया. कुछ अभिभावक स्कूल पहुंचे और प्रशासन से बस न आने का कारण पूछा.
बस की क्षमता से ज्यादा बिठाए जा रहे बच्चे अभिभावकों का कहना है कि कई महीनों से प्रशासन बसों को लेकर आनाकानी कर रहा है. बच्चों के आने-जाने की कोई सुविधा नहीं दे रहा है. खटारा बसों में बच्चों को स्कूल भेज दिया जाता है. जिससे कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है. उन्होंने कहा कि सरकार इस बारे में थोड़ा सख्ती बरते और स्कूलों पर निगरानी रखें.
वहीं, स्कूल की प्रधानाचार्या से जब बात की गई तो कोई खास जवाब नहीं मिला, लेकिन जब बसों के कागजात मांगे गए तो बस नियम और कानूनों पर खरा नहीं उतरी. प्रधानाचार्या ने बस चालक पर कानूनी कार्रवाई की बात जरुर कही, लेकिन अभिभावकों की शिकायत को गलत करार दिया.
बता दें कि बसो में ओवरलोडिंग पर सख्ती के बावजूद स्कूल बस में एक सीट पर चार से पांच बच्चे बिठाए गए जा रहे हैं. तकरीबन एक बस में 50 से 55 बच्चों को बिठाया जा रहा है. स्कूल खासा पुराना है और भवन की दीवारों में दरारें आ चुकी है.
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