शिमला: पार्टी चाहे पुरानी हो या देश की सबसे बड़ी पार्टी हो लेकिन हर पार्टी में हमेशा एक बात तो कॉमन ही रहती है. चुनाव आने पर कुछ नेताओं का दल बदलना. ऐसा ही कुछ हिमाचल विधानसभा चुनाव 2022 में भी देखने को मिला. यहां पर ठीक चुनाव से पहले कुछ नेताओं ने अपने दल बदले जिसमें दो को विजय मिली और बाकी के नेताओं को हार का सामना करना पड़ा. (Candidates who changed party in Himachal) (Candidate change party before Himachal Election) (List of defectors in Himachal)
पवन काजल कांग्रेस को छोड़ BJP में हुए शामिल, मिली जीत- कांगड़ा सीट से भाजपा के उम्मीदवार पवन काजल ने पूर्ण बहुमत के साथ जीत हासिल की है. पवन काजल को 26,968 वोट मिले हैं. वहीं, कांग्रेस प्रत्याशी सुरेंद्र सिंह काकू 10,254 वोट मिले हैं. वहीं, निर्दलीय प्रत्याशी कुलभाष चंद 7,398 वोट के साथ तीसरे नंबर पर रहे.
BJP के पवन काजल को कांगड़ा और लोकेंद्र नेगी को आनी सीट से मिली जीत. भाजपा के उम्मीदवार पवन काजल वर्ष 2012 में इस विधानसभा सीट से निर्दलीय प्रत्याक्षी के तौर पर चुनाव लड़ा था और जीत दर्ज करने के बाद स्वर्गीय वीरभद्र सिंह पवन काजल को कांग्रेस पार्टी में ले आए थे. 2017 के विधानसभा चुनाव भी पवन काजल ने कांग्रेस पार्टी से टिकट मिलने के बाद लड़े थे और जीते थे, लेकिन इस मर्तबा पवन काजल ने कांग्रेस का साथ छोड़ भाजपा के रथ पर सवार होकर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की.
लोकेंद्र नेगी माकपा को छोड़ BJP में हुए शामिल, मिली जीत-कुल्लू विधानसभा की आनी सीट से भाजपा के उम्मीदवार लोकेंद्र नेगी ने जीत हासिल की है. लोकेंद्र नेगी को 23491 वोट मिले हैं. वहीं, कांग्रेस प्रत्याशी बंसीलाल को 13,699 और निर्दलीय उम्मीदवार पारस राम को 16,768 मिले हैं. आनी विधानसभा से बीजेपी के लोकेंद्र नेगी पहले माकपा में थे. चुनाव से पहले ही उन्होंने बीजेपी ज्वाइन की थी और जीत हासिल की थी.
खीमी राम BJP छोड़ कांग्रेस में हुए शामिल, मिली हार- कुल्लू के बंजार विधानसभा सीट से कांग्रेस पार्टी के सशक्त उम्मीदवार के रूप में पूर्व मंत्री खीमी राम चुनावी मैदान में तो उतरे लेकिन उन्हें वहां से हार का सामना करना पड़ा. वे भाजपा के उम्मीदवार सुरेंद्र शौरी को हराने में कामयाब नहीं रह पाए. भाजपा प्रत्याशी सुरेंद्र शौरी को 24,241 मिले हैं, जबकि कांग्रसे के खीमी राम को कुल 19,963 वोट मिले हैं.
खीमी राम का नाता भाजपा की पृष्ठभूमि से रहा है. लेकिन टिकट न मिलने से नाराज होकर उन्होंने भाजपा का साथ छोड़ कांग्रेस का हाथ थामा था. बंजार विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस के उम्मीदवार खीमी राम शर्मा भाजपा के अहम पदों पर रह चुके हैं. पूर्व में वन मंत्री के तौर पर भी बंजार विधानसभा क्षेत्र में विकास कार्यों को पूरा कर चुके हैं. ऐसे में खीमी राम शर्मा को बंजार में भाजपा के एक धड़े का भी समर्थन मिला था. जपा प्रत्याशी सुरेंद्र शौरी को 24,241 मिले हैं. वहीं, निर्दलीय प्रत्याशी हितेश्वर सिंह को 14,568 और कांग्रसे के खीमी राम को कुल 19,963 वोट मिले हैं
लखविंद्र राणा कांग्रेस छोड़ BJP में हुए शामिल, मिली हार- नालागढ़ सीट से भाजपा के सशक्त उम्मीदवार के रूप में लखविंदर सिंह राणा विधानसभा चुनाव में उतरे थे, लेकिन वे जीत नहीं पाए. नालागढ़ सीट से निर्दलीय उम्मीदवार केएल ठाकुर को जीत मिली है. निर्दलीय उम्मीदवार केएल ठाकुर को कुल 33053 मत मिले हैं. जबकि, भाजपा के लखविंदर सिंह राणा को कुल 17008 वोट मिले. लखविंद्र सिंह राणा को कांग्रेस से टिकट न मिलने से उन्होंने हाथ का साथ छोड़ भाजपा का साथ दिया लेकिन वे नहीं जीत पाए.
साल 2011 में हरि नारायण सिंह की मृत्यु होने के चलते उपचुनाव हुआ यहां पर कांग्रेस के टिकट से लखविंदर राणा ने चुनाव लड़ा और वे जीते, उसके बाद साल 2012 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा के टिकट से चुनाव लड़ कर केएल ठाकुर ने नालागढ़ सीट जीती उसके बाद फिर समीकरण बदले और साल 2017 में लखविंदर कांग्रेस की टिकट से चुनकर आए, इस बार लखविंदर राणा भाजपा से चुनावी मैदान में थे और केएल ठाकुर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में एक बार फिर चुनावी मैदान में थे.इस सीट से निर्दलीय प्रत्याशी किशन लाल ठाकुर ने जीत दर्ज की है.
राजन सुशांत कई पार्टी बदल आप में हुए शामिल, मिली हार- आम आदमी पार्टी ने फतेहपुर सीट से राजन सुशांत को टिकट दिया था. लेकिन वे वहां से हार गए. उन्हें कुल 1302 वोट मिले हैं. वहीं, कांग्रेस के भवानी सिंह पठानिया को 26249 वोट मिले हैं, जबकि मंत्री राकेश पठानिया को 20696 वोट मिले. साल 2009 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी की टिकट पर कांगड़ा लोकसभा सीट से चुनाव जीते थे. पार्टी विरोधी गतिविधि के कारण साल 2011 में उन्हें पार्टी से निलंबित भी किया जा चुका है.
राजन सुशांत (Rajan sushant Aam Aadmi party) पहली बार साल 1982 में हिमाचल विधानसभा के सदस्य चुने गए थे.बीजेपी की टिकट पर 5 बार विधायक रहे राजन सुशांत दो बार प्रदेश सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं. अन्ना आंदोलन से जुड़ने के बाद वो 2014 लोकसभा चुनाव आम आदमी पार्टी की टिकट पर लड़ चुके हैं. कांगड़ा सीट पर वो तीसरे स्थान पर रहे थे, इस बार आम आदमी पार्टी ने उन्हें कांगड़ा जिले की फतेहपुर सीट से अपना उम्मीदवार बनाया था.
मनीश ठाकुर कांग्रेस छोड़ AAP में हुए शामिल, मिली हार- आम आदमी पार्टी ने पांवटा साहिब से मनीष ठाकुर को टिकट दिया था. जहां से हार गए. उन्हें कुल 5090 वोट डले. जबकि जीते हुए भाजपा के मंत्री रहे सुख राम जीते हैं जिन्हें कुल 31008 वोट मिले थे. मनीश ठाकुर कांग्रेस में हिमाचल युवा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष रहे हैं.
राकेश चौधरी AAP को छोड़ BJP में हुए शामिल, मिली हार-कांगड़ा की धर्मशाला सीट से भाजपा के सशक्त उम्मीदवार के रूप में राकेश चौधरी चुनावी मैदान में तो उतरे लेकिन उन्हें वहां से हार का सामना करना पड़ा. वे कांग्रेस के सुधीर शर्मा को हराने में कामयाब नहीं रहे. सुधीर शर्मा को कुल 27323 वोट मिले जबकि राकेश चौधरी को 24038 वोट ही मिले. बता दें कि वे भाजपा से पहले आम आदमी पार्टी में थे और इससे भी पहले वे कांग्रेस के कार्यकर्ता रहे हैं.
हरमेल धीमान भाजपा छोड़ AAP में हुए शामिल, मिली हार-सोलन जिले की कसौली सीट से आम आदमी पार्टी ने हरमेल धीमान को टिकट दिया था. जिससे वे हार गए हैं. उन्हें कुल 1809 वोट मिले हैं. जबकि कांग्रेस के जीते हुए प्रत्याशी विनोद सुल्तानपुरी को 28200 वोट मिले हैं. वहीं, भाजपा प्रत्याशी राजीव सैजल को कुल 21432 वोट मिले थे.
बता दें कि सोलन के बीजेपी नेता हरमेल धीमान ने आम आदमी पार्टी का दामन थाम था. उनके साथ कुछ और स्थानीय नेताओं ने भी आम आदमी पार्टी ज्वाइन की थी. हरमेल धीमान बीजेपी में कई अहम जिम्मेदारियां संभाल चुके हैं. जिनमें जिला उपाध्यक्ष युवा मोर्चा, प्रदेश उपाध्यक्ष अनुसूचित जाति मोर्चा, नेशनल एग्जीक्यूटिव मेंबर अनुसूचित जाति मोर्चा, निदेशक अनुसूचित एवं जनजाति निगम शामिल हैं. (Candidates who changed party in Himachal) (Candidate change party before Himachal Election) (List of defectors in Himachal)
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