शिमला: कैग की रिपोर्ट में सरकार की कई कमियां उजागर (Government could not provide school uniform on time)हुई. विधानसभा में भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट (कैग)में खुलासा हुआ है कि सरकारी की खरीद प्रक्रिया की सुस्ती के कारण बच्चों को वर्दी नहीं मिल पाई. सीएम जयराम ठाकुर की तरफ से 31 मार्च, 2020 को समाप्त हुए वित्तीय वर्ष (सामाजिक, सामान्य एवं आर्थिक क्षेत्र) की रिपोर्ट में शिक्षा विभाग की तरफ से खरीदी गई स्कूल वर्दी को लेकर सवाल उठाए गए.
रिपोर्ट में जिक्र है कि कैसे स्कूल वर्दी खरीद में आदेश जारी करने में देरी हुई और इस कारण वर्ष 2018-19 के दौरान छात्रों को वर्दी का कपड़ा उपलब्ध नहीं हो पाया.यही नहीं, वर्ष 2017-18 और 2019-20 की अवधि के दौरान विभागीय प्राधिकारियों ने वर्दी के कपड़ों के वितरण में 1 से 11 माह से अधिक का समय लगाया. इसी तरह सिलाई एवं प्रभार के काम में 5 से 164 दिन का समय लगा. वर्ष 2016 से वर्ष 2020 के दौरान 200 विद्यार्थियों को सिलाई-प्रभार का भुगतान नहीं किया गया. इस काम में निविदाएं आमंत्रित किए बिना उसी प्रयोगशाला को वर्दी के कपड़े के नमूने के परीक्षण का कार्य सौंपने के कारण 1.73 करोड़ रुपए का अनियमित व्यय (2019-20) हुआ.
ट्रामा सेंटर जीवन रक्षक : सडक़ दुर्घटनाओं में घायल लोगों के लिए ट्रामा सेंटर जीवन रक्षक साबित होते हैं. कैग की रिपोर्ट में ट्रामा सेंटर के निर्माण कार्य को लेकर भी सवाल उठाए गए. विभाग की तरफ से 10.61 करोड़ रुपए व्यय करने के बाद भी 5 अस्पतालों में ट्रामा सेंटर्स की स्थापना नहीं हो पाई. इस तरह 7.81 करोड़ रुपए की राशि 30 से 57 माह तक बेकार पड़ी रही. रिपोर्ट में सडक़ निर्माण कार्य में ठेकेदार को 0.53 करोड़ रुपए का अनुचित लाभ पहुंचाने के तथ्य भी दर्ज हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि योजना में विफलता, समय पर वन मंजूरी प्राप्त करने में देरी एवं विस्फोटक सामग्री उपलब्ध करवाने में देरे के कारण सडक़ के काम पर 2.15 करोड़ रुपए का निष्फल व्यय हुआ.
फर्म को पहुंचाया 19.52 करोड़ का अनुचित लाभ:कैग रिपोर्ट के अनुसार फिना प्रोजेक्ट के बांध के निर्माण में फर्म को अनुचित लाभ पहुंचाया गया. रिपोर्ट के अनुसार परिकलित दरों में 8 प्रतिशत जोडऩे के कारण गलत कार्य क्षेत्र एवं अनुचित मद दरों के साथ एकमुश्त अनुबंध प्रदान करने के कारण फर्म को 19.52 करोड़ रुपए का अनुचित लाभ पहुंचाया गया. कैग ने हिमाचल प्रदेश में संग्रहालयों के प्रबंधन पर सवाल उठाए. इसमें कहा गया है कि कला वस्तुओं का अधिग्रहण मनमाने ढंग से किया गया था. इसमें चंबा स्थित संग्रहालय के लिए कोई वस्तु अधिग्रहित नहीं की गई और रजिस्टरों का रख-रखाव भी विधिपूर्वक नहीं किया गया. संग्रहालयों की सुरक्षा प्रणाली त्रुटिपूर्ण थी तथा आगंतुकों की प्रभावी निगरानी का अभाव था.
राजस्व व्यय बजट अनुमानों से अधिक:कैग की रिपोर्ट बताती है कि हिमाचल प्रदेश में राजस्व व्यय पूंजीगत खर्च के मुकाबले तेजी से बढ़ रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक 2015-16 से वित्तीय वर्ष 2019-20 तक राजस्व व्यय बजट अनुमानों से अधिक रहा. कमोवेश यही स्थिति पूंजीगत खर्च के मामलों में भी रही. इसी अवधि के दौरान प्रदेश को केंद्र से मिलने वाली सहायता अनुदान में करीब 5 फीसदी की बढ़ोतरी हुई. 2015-16 में केंद्र सरकार से प्रदेश को 11,296 करोड़ की सहायता अनुदान राशि के मुकाबले 2019-20 में 15,939 करोड़ रुपए की सहायता मिली.