शिमला:सत्ता में होने के बावजूद उपचुनाव में बीजेपी की विजय की डगर आसान नहीं है. खासकर फतेहपुर और अर्की में बागी चोरों ने हाईकमान को चिंता में डाल दिया है. हालात यह है कि प्रदेश भाजपा प्रभारी अविनाश राय खन्ना को बगावत की सुलग रही चिंगारी पर पानी डालने के लिए चंडीगढ़ से अर्की आना पड़ा.
दरअसल अर्की में गोविंद गोविंद राम शर्मा अचानक से नाराज हो गए. गोविंद राम पूर्व विधायक हैं और उन्होंने हाईकमान के कहने पर 2017 का चुनाव नहीं लड़ा था तब रतन सिंह पाल को टिकट दिया था, लेकिन वीरभद्र सिंह के राजनीतिक कद के सामने वे चुनाव हार गए थे. इधर इस बार उपचुनाव में गोविंद राम शर्मा फिर से टिकट की चाहवान हैं.
भाजपा को फतेहपुर में भी खींचतान का सामना करना पड़ रहा है. वहां कृपाल परमार एंड आदर्श के बीच जंग छिड़ी थी. मंडी और जुब्बल कोटखाई में भाजपा फिलहाल कंफर्ट जोन में है. मंडी मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर (Chief Minister Jai Ram Thakur) का गृह जिला है और यहां से कद्दावर कैबिनेट मंत्री और लगभग सभी विधायक भाजपा के हैं.
हालांकि वीरभद्र सिंह के निधन के बाद मंडी सीट पर भी भाजपा के लिए आने वाला समय आसान नहीं होगा, यदि प्रतिभा सिंह चुनाव लड़ने का फैसला करती हैं तो मंडी में भाजपा को नाकों चने चबाने पड़ेंगे. फिलहाल हम यहां फतेहपुर और अर्की में हो रही खींचतान पर पहले नजर डालते हैं.
फतेहपुर में सुजान सिंह पठानिया के निधन के बाद सीट खाली हुई है. वहां सुजान सिंह पठानिया के बेटे भवानी सिंह पठानिया कांग्रेस के उम्मीदवार लगभग तय हैं, लेकिन भाजपा के लिए यहां स्थितियां सहज नहीं हैं. पहले कृपाल परमार को लेकर पार्टी में हंगामा हो चुका है. कृपाल परमार वरिष्ठ नेता हैं, लेकिन सहानुभूति लहर में भाजपा की जीत इतनी भी आसान नहीं है. वह भी तब जब पार्टी यहां तीन चुनाव लगातार हार चुकी है.
कार्यकर्ताओं का मानना है कि टिकट का वितरण सही न होने के कारण पार्टी को हमेशा नुकसान उठाना पड़ा. इस समय एक महिला नेत्री रिता ठाकुर भी यहां दावेदार हैं. पार्टी के पूर्व अध्यक्ष सतपाल सिंह सत्ती और अन्य नेता कार्यकर्ताओं का रोष शांत करने के लिए फतेहपुर में बैठकें कर चुके हैं.
एक धड़े ने पूर्व जिला परिषद उपाध्यक्ष जगदेव सिंह के लिए टिकट की मांग की है. इस धड़े का मानना है कि जगदेव चंद लंबे समय से फतेहपुर विधानसभा क्षेत्र में सक्रिय हैं. जमीनी हकीकत से वाकिफ हैं. वे कार्यकर्ताओं को भी साथ लेकर चलने की क्षमता रखते हैं.
इधर कृपाल परमार की अपनी ही राजनीति है वह मंझे हुए राजनेता हैं और भलीभांति जानते हैं कि किस तरह से टिकट का दावा मजबूत किया जा सकता है. यह बात अलग है कि पूर्व सांसद और वरिष्ठ भाजपा नेता कृपाल परमार विवादों में भी रहे हैं. फिलहाल फतेहपुर में भाजपा ने अंदर खाते डैमेज कंट्रोल का दावा किया है.
इसी डैमेज कंट्रोल का परिणाम है कि जगदेव सिंह को किसान मोर्चा में पद दिया गया और एक अन्य सक्रिय नेता बलदेव ठाकुर को प्रदेश कार्यकारिणी में सदस्य बनाया गया. ठाकुर की नाराजगी भी दूर की गई. बगावत को थामने का जिम्मा खुद राज्य भाजपा प्रभारी अविनाश राय ने संभाला था.
वह इस कदर सक्रिय थे कि खुद जगदेव सिंह के घर जाकर मान-मनोहार की. अभी यह देखना है कि इस इलाके के एक और कद्दावर नेता राजन सुशांत कौन सी चाल चलते हैं. अभी ऐसा प्रतीत हो रहा है कि भाजपा ने फतेहपुर का संकट सुलझा लिया है.
वही, अर्की की तरफ नजर डालें तो यहां गोविंद राम शर्मा के समर्थकों का कहना है कि उन्हें टिकट मिलना चाहिए. समर्थक कारण गिनाते हुए कहते हैं कि पूर्व प्रत्याशी रतन सिंह पाल के साथ कार्यकर्ता पूरे मन से नहीं हैं. गोविंद राम यहां से विधायक रह चुके हैं वह विनम्र स्वभाव के हैं और सभी को साथ लेकर चलने में विश्वास रखते हैं.