शिमला: हिमाचल में कम आयु के लोग ब्रेन स्ट्रोक की चपेट में आ रहे हैं, जो कि एक चिंता का विषय बनता जा रहा है. अस्पतालों में एक साल के अंदर 300 से अधिक मरीज ब्रेन स्ट्रोक के पहुंच रहे हैं. जिसमें से 1/3 की मौत भी हो जाती है.
प्रदेश में तेजी से फैल रही ब्रेन स्ट्रोक बीमारी
ब्रेन स्ट्रोक के बारे में जानकारी देते हुए आईजीएमसी में न्यूरोलॉजी विभाग से डॉ. सुधीर शर्मा ने बताया कि ब्रेन स्ट्रोक यानी लकवा, पक्षाघात और विभिन्न नामों से जानी जाने वाली यह बीमारी प्रदेश में तेजी से फैलती जा रही है, जिसके कारण लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है. सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि अस्पताल में आने वाले 20 प्रतिशत ब्रेन स्ट्रोक के मरीज 40 साल से कम उम्र के होते हैं. इनमें 80 प्रतिशत लोग ब्लॉकेज और 15 से 20 प्रतिशत लोग हेमरेज के अस्पताल में आ रहे हैं. जिस उम्र में युवा कुछ करने की सोचता है, उस उम्र में पक्षाघात के कारण वह दूसरों पर निर्भर हो कर रह जाते हैं. इसलिए प्रदेश के लोगों में इस बीमारी के प्रति जागरूकता फैलाने की जरूरत है.
'समय पर करवाएं इलाज'
प्रदेश के अस्पतालों में ब्रेन स्ट्रोक का इलाज करने के पूरे साधन हैं, लेकिन लोग समय से अपना इलाज नहीं करवाते हैं. यही कारण है कि लोग समय से अपना इलाज करवाना शुरू नहीं करते हैं. डॉक्टरों का कहना है कि ब्रेन स्ट्रोक के लक्षण दिखाई देने पर अगर मरीज को 3 से 4 घंटे में अस्पताल पहुंचा दिया जाए तो वह ठीक हो सकता है. लोगों में जागरूकता की कमी के कारण मरीज देरी से अस्पताल पहुंचते हैं, जिससे मरीज को बचाना मुश्किल हो जाता है.