शिमला:सरकारी अस्पतालों के ब्लड बैंकों में काम कर रहे कर्मचारी अपने भविष्य को लेकर चिंता में हैं. कारण यह है कि नेशनल एड्स कंट्रोल सोसायटी यानी नाको के तहत आने वाले ब्लड बैंक के कर्मचारियों को डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ हेल्थ सर्विसेज (डीजीएचएस) के अंतर्गत लाए जाने का प्रस्ताव है. ऐसे में कर्मचारियों के मन में कई सवाल उठ रहे हैं. उदाहरण के लिए उनकी तैनाती का आधार क्या होगा, सालाना इन्क्रीमेंट का क्या प्रारूप होगा.
शंकाओं को लेकर स्वास्थ्य मंत्री को लिखा पत्र
अपने सवालों को लेकर नवगठित ब्लड बैंक एम्पलॉइज एसोसिएशन ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन सिंह को पत्र लिखा है. पत्र में एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने लिखा है कि नाको से डीजीएचएस में स्थानांतरित किए जाने के प्रस्तावित कदम के बाद कर्मियों का भविष्य क्या होगा, इसे लेकर असमंजस है. नाको में कर्मियों को हर साल तय वेतन वृद्धि मिलती है, क्या डीजीएचएस में शिफ्ट किए जाने के बाद भी ये वेतन वृद्धि जारी रहेगी. नाको के वर्तमान सेवा नियमों के अनुसार ब्लड बैंकों में तैनात कर्मचारियों का अनुबंध एक साल का होता है, जिसे नियमित रूप से बढ़ाया जाता है.