शिमला: हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के रोहड़ू के नाले में सेब फेंकने के मामले में हिमाचल प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने रोहड़ू के बलासन निवासी बागवान यशवंत पर 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से बागवान को 10 और 24 अगस्त को नोटिस भी जारी किया गया, लेकिन बागवान की ओर से बोर्ड के नोटिस का जवाब न देने पर प्रदूषण नियंत्रण एक्ट और NGT के आदेशों की अवहेलना करने पर यह कार्रवाई की गई है.
वहीं, इस मामले में भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता चेतन बरागटा प्रदेश के सेब बागवानों के पक्ष में उतर आए हैं. चेतन बरागटा का कहना है कि प्रदेश की कांग्रेस सरकार में सेब बागवानों के साथ अत्याचार हो रहा है. इस सरकार के कार्यकाल में बागवानों को कोई राहत नहीं मिल रही है. चेतन बरागटा ने कहा कि गांव में कई सड़कें बंद हैं, जिसकी वजह से बागवान मंडियों तक सेब नहीं पहुंचा पा रहे हैं. इतना ही नहीं राज्य में काफी समय से खाद की भी कमी हो रही है, लेकिन सरकार इसकी कोई सुध नहीं ले रही है.
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता चेतन बरागटा ने कहा कि कांग्रेस सरकार बागवानों की समस्या को नहीं समझ पाई. उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी बागवान पर लगाए जा रहे 1 लाख रुपये के जुर्माने के खिलाफ है. चेतन बरागटा ने कहा बागवान अभी बहुत समस्याओं से जूझ रहे हैं. कई रोड अभी भी बंद पड़े हैं. वहीं, बरागटा ने कहा कि पिछले साल की MIS की पेमेंट भी बागवानों को नहीं की गई है. सरकार को इसकी तरफ ध्यान देना चाहिए था, लेकिन सरकार अपनी Ego को संतुष्ट कर रही है.
बरागटा ने कहा कि जो ये 1 लाख रुपये की पेनल्टी लगाई गई है इसको बागवान नहीं भरेंगे. हम एक मुहिम पूरे प्रदेश में चलाएंगे और जो ये पेनल्टी है वो बागवानों से इक्ठ्ठा करके सरकार को देंगे और अगर उनकी Ego इसी से संतुष्ट होती है तो हम ये काम जरूर करेंगे. चेतन बरागटा ने कहा कि मैं अभी भी कांग्रेस सरकार से निवेदन करता हूं कि इस तुगलकी फरमान को वापस लिया जाए.
इसी कड़ी में संयुक्त किसान मंच ने भी पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के इस फैसले की कड़ी निंदा की है. मंच ने सरकार से मांग की है कि पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के इस निर्णय को तुरंत निरस्त किया जाए. मंच के संयोजक हरीश चौहान और सह संयोजक संजय चौहान ने कहा कि इस आपदा के समय जब किसान, बागवान व आम आदमी गंभीर संकट के दौर से गुजर रहा है और किसानों व बागवानों की फसल बर्बाद होने से वह आर्थिक संकट से जूझ रहा है तो ऐसे समय में पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड का यह निर्णय बिलकुल भी जायज़ नहीं ठहराया जा सकता है और यह बिल्कुल भेदभावपूर्ण है.
मंच के संयोजक हरीश चौहान और सह संयोजक संजय चौहान ने कहा प्रदेश में विभिन्न कंपनियों व ठेकेदारों द्वारा मलबा, मिट्टी व कई प्रकार के आपत्तिजनक पदार्थ नदी, नालों व जंगलों में खुले रूप से फेंककर कानून व नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं, लेकिन पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड इन पर कभी भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं करता है, जिसका ज्वलंत उदाहरण इस साल भारी बारिश व बाढ़ के चलते प्रदेश में नदी व नालों के पास भारी तबाही देखी गई है. इससे पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की कार्रवाई संदेह के घेरे में आई है. हरीश चौहान ने कहा है कि यदि मंच की इस मांग पर सरकार अमल नहीं करती है और पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड बागवान पर लगाया गए 1 लाख रुपये के जुर्माने के भेदभावपूर्ण निर्णय को वापस नहीं लेता है तो संयुक्त किसान मंच बागवान विरोधी इस निर्णय के खिलाफ बागवानों को संगठित कर आंदोलन करेगा.
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