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हिमाचल भाजपा में फिर 'धधका ज्वालामुखी', पार्टी में कलह का केंद्र बन रहा कांगड़ा

हिमाचल भाजपा में गुटबाजी का ज्वालामुखी फिर से धधक उठा है. पार्टी में कलह का केंद्र एक बार फिर से कांगड़ा जिला बना है. संगठन व सरकार बेशक सब कुछ ठीक होने का दावा करें, लेकिन गुरुवार को कांगड़ा जिला के पार्टी एमएलए की सीएम जयराम ठाकुर के साथ मुलाकात के बाद गुटबाजी सार्वजनिक हो गई.

BJP MLA ramesh dhawala
फाइल फोटो

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Published : Jun 11, 2020, 9:46 PM IST

Updated : Jun 12, 2020, 3:22 PM IST

शिमला. हिमाचल भाजपा में गुटबाजी का ज्वालामुखी फिर से धधक उठा है. पार्टी में कलह का केंद्र एक बार फिर से कांगड़ा जिला बना है. संगठन व सरकार बेशक सब कुछ ठीक होने का दावा करें, लेकिन गुरुवार को कांगड़ा जिला के पार्टी एमएलए की सीएम जयराम ठाकुर के साथ मुलाकात के बाद गुटबाजी सार्वजनिक हो गई.

मीटिंग के बाद कांगड़ा जिला के वरिष्ठ नेता व भाजपा विधायक रमेश धवाला के जो तेवर थे, उससे भाजपा का ज्वालामुखी फिर धधकने लगा है. मुलाकात के बाद धवाला ने मीडिया से बातचीत में कहा कि विधायकों की मर्जी के बगैर ही प्रदेश व जिलों में नियुक्तियां हो रही हैं, हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने सभी विधायकों की बातों को ध्यान से सुनकर समाधान निकालने का भरोसा दिया है, लेकिन धवाला के तेवरों से साफ है कि कांगड़ा भाजपा के ये वरिष्ठ नेता संगठनात्मक नियुक्तियों को लेकर दरकिनार किए जाने से खासा नाराज हैं.

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संगठन के कद्दावर हस्ताक्षर पवन राणा के जिक्र ने भी पार्टी में हलचल मचाई है. उधर, विधायक दल की बैठक के बाद गुरूवार को शिमला में कांगड़ा जिला के सभी भाजपा विधायक, जिनमें मंत्री भी शामिल थे मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से मिले. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के सरकारी आवास ओक ओवर में हुई मुलाकात के बाद ज्वालामुखी के भाजपा विधायक रमेश धवाला ने मीडिया से बात की. उन्होंने साफ कहा कि सरकार व संगठन में तालमेल होना चाहिए.

संगठन में नियुक्तियां विधायकों से पूछ कर होनी चाहिए, लेकिन ऐसा हो नहीं रहा. अधिकारियों व कर्मचारियों को विधायकों के मसलों को सुनना चाहिए. उन्होंने साफ कहा कि विधायक ही सरकार बनाते हैं. इससे विवाद की आग का पता चलता है. ध्वाला के अनुसार विधायक के मजबूत होने की स्थिति में ही सरकार व संगठन मजबूत होगा. मगर संगठन में कांग्रेस के लोगों को शामिल किया जा रहा है.

एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि अधिकांश विधायकों ने संगठन में नियुक्तियों के साथ अधिकारियों व कर्मचारियों के मुद्दों को लेकर सरकार के समक्ष अपनी बात रखी. ध्वाला ने कहा कि भाजपा के लिए संतोष की बात यह है कि मुख्यमंत्री सबकी बात सुनते हैं. साथ ही कहा कि संगठन में कुछेक पदाधिकारियों से शिकायत है. जाहिर है कि धवाला सरकार से नहीं संगठन से खफा हैं.

भाजपा का कांगड़ा खासतौर पर ज्वालामुखी विवाद से पुराना रिश्ता है. 90 के दशक में ज्वालामुखी प्रकरण ने प्रदेश भाजपा की राजनीति की दिशा बदल दी थी. इसके बाद 1998-2003 तक प्रदेश की धूमल सरकार के समय भी कांगड़ा जिला के भाजपा विधायकों ने बगावती तेवर अपनाए थे. सरकार में ज्वालामुखी से निर्दलीय चुनाव जीत कर आए रमेश धवाला अगर भाजपा का साथ न देते तो प्रेम कुमार धूमल के नेतृत्व वाली सरकार न बनती.

धवाला कई दिनों तक कांग्रेस के खेमे में जबरन रोके गए, मगर उन्होंने साफ तौर पर कांग्रेस को समर्थन देने से मना कर दिया था. अब एक मर्तबा फिर धवाला मुखर हो गए हैं. उन्होंने साफ कहा कि पार्टी के लिए उन्होंने डंडे तक खाए हैं. उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ वह पहले भी थे आगे भी रहेंगे.

Last Updated : Jun 12, 2020, 3:22 PM IST

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