शिमला: हिमाचल विधानसभा के बजट सत्र में इस समय मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के पहले बजट पर चर्चा हो रही है. भाजपा विधायक अनिल शर्मा ने बजट पर चर्चा में शामिल होते हुए संस्थान खोलने को लेकर हर सरकार को नसीहत दी. साथ ही पूर्व सरकार के समय अपनी अनदेखी भी इशारों ही इशारों में बयान की. अनिल शर्मा ने कहा कि इस समय बिना बजट संस्थानों को खोलने और फिर बिना बजट प्रावधान के संस्थानों को बंद करने की चर्चा है.
अनिल शर्मा ने नसीहत देते हुए कहा कि प्रदेश की आर्थिक स्थिति और जरूरत को देखते हुए संस्थान खुलने चाहिए. उन्होंने उदाहरण दिया कि पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह कहते थे कि दो बच्चों के लिए भी प्राइमरी स्कूल खोलूंगा. अनिल शर्मा ने कहा कि ये समय-समय की बात है. उस समय ये जरूरत थी, क्योंकि सड़कों का अभाव था. अब ऐसी स्थिति नहीं है. अनिल शर्मा ने कहा कि अगर संस्थान खोलने से सत्ता मिलती तो कोई भी सरकार चुनाव न हारती. उन्होंने पूर्व में अपनी अनदेखी का दर्द बयान किया और कहा कि पिछली सरकार के समय उनके निर्वाचन क्षेत्र में कोई संस्थान नहीं खुला, लेकिन वे फिर भी चुनाव जीत गए. अनिल शर्मा ने कहा कि हिमाचल पर कर्ज एक बड़ी चिंता की बात है. कर्ज लेकर सरकार को काम चलाना पड़ता है. हालत ये है कि लिए गए कर्ज पर ब्याज की अदायगी के लिए भी कर्ज लेना पड़ता है. वेतन और पेंशन पर बजट का 42 फीसदी हिस्सा खर्च हो जाता है. विकास के लिए सिर्फ 29 फीसदी बजट बचता है. ये चिंताजनक स्थिति है.
दस गारंटियां पड़ी भारी, इसलिए हारे चुनाव: अनिल शर्मा ने कहा कि भाजपा की हार का कारण कांग्रेस की चुनाव गारंटियां भी रहीं. उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेताओं ने महिलाओं को पंद्रह सौ रुपए प्रति माह देने का वादा किया था. अनिल शर्मा ने अपना अनुभव दर्ज करते हुए कहा कि वे चुनाव प्रचार के लिए जाते थे तो महिलाएं कहती थीं कि उनसे कांग्रेस ने फार्म भरवाए हैं और उनके खाते में 1500 रुपए आएंगे. अनिल शर्मा ने कहा कि ये सत्ता प्राप्ति का तरीका हो सकता है, लेकिन ये सही नहीं है.