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इस जन्माष्टमी बन रहा दुर्लभ संयोग, ब्रह्म मुहूर्त में इस तरह करें भगवान श्री कृष्ण की पूजा

इस वर्ष भगवान श्री कृष्ण का 5247वां जन्मोत्सव मनाया जाएगा. वशिष्ठ ज्योतिष सदन के अध्यक्ष व प्रख्यात अंक ज्योतिषी पंडित शशि पाल डोगरा के अनुसार भगवान श्री कृष्ण का अवतरण 3228 ईसवी वर्ष पूर्व हुआ था. 3102 ईसवी वर्ष पूर्व कान्हा ने इस लोक को छोड़ भी दिया. जन्माष्टमी के दिन अष्टमी और रोहिणी नक्षत्र एक साथ पड़ रहे हैं, इसे जयंती योग माना जाता है.

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Published : Aug 29, 2021, 10:34 AM IST

शिमला: इस बार श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर जयंती योग बन रहा है. यही योग द्वापरयुग में श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के दौरान भी बना था, इसलिए 30 अगस्त को देश भर में धूमधाम से मनाई जाने वाली श्रीकृष्ण जन्माष्टमी विशेष मानी जा रही है. इस दिन श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर भक्त गण पूरा दिन उपवास करते हैं. रात के 12 बजे तक भगवान श्री कृष्ण का जागरण, भजन, पूजन-अर्चना करते हैं.


इस वर्ष भगवान श्री कृष्ण का 5247वां जन्मोत्सव मनाया जाएगा. वशिष्ठ ज्योतिष सदन के अध्यक्ष व प्रख्यात अंक ज्योतिषी पंडित शशि पाल डोगरा के अनुसार भगवान श्री कृष्ण का अवतरण 3228 ईसवी वर्ष पूर्व हुआ था. 3102 ईसवी वर्ष पूर्व कान्हा ने इस लोक को छोड़ भी दिया. विक्रम संवत के अनुसार, कलयुग में उनकी आयु 2078 वर्ष हो चुकी है अर्थात भगवान श्रीकृष्ण पृथ्वी लोक पर 125 साल, छह महीने और छह दिन तक रहे. उसके बाद स्वधाम चले गए.

पूजा का शुभ मुहूर्त 30 अगस्त की रात को 11:59 से 12:44 बजे तक रहेगा. भादो माह में ही भगवान श्रीकृष्ण ने रोहिणी नक्षत्र के वृष लग्न में जन्म लिया था. 30 अगस्त को रोहणी नक्षत्र व हर्षण योग रहेगा. देश भर के सभी कृष्ण मंदिरों में जन्माष्टमी विशेष धूमधाम के साथ मनाई जाती है. जन्माष्टमी के दिन अष्टमी और रोहिणी नक्षत्र एक साथ पड़ रहे हैं, इसे जयंती योग माना जाता है. ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है कि श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर राशि के अनुसार भगवान कृष्ण को भोग लगाने से कान्हा की कृपा बनी रहती है.

पंडित शशि पाल डोगरा ने पूजा विधि की जानकारी देते हुए बताया कि जन्माष्टमी उपवास के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि कार्यों से निवृत होकर भगवान कृष्ण का ध्यान करें. भगवान के ध्यान के बाद उनके व्रत का संकल्प लें और पूजा की तैयारी करें. इसके बाद भगवान कृष्ण को माखन-मिश्री, पाग, नारियल की बनी मिठाई का भोग लगाएं. फिर हाथ में जल, फूल, गंध, फल, कुश हाथ में लेकर रात 12 बजे भगवान का जन्म होगा, इसके बाद उनका पंचामृत से अभिषेक करें. उनको नए कपड़े पहनाएं और उनका शृंगार करें. भगवान का चंदन से करें और उनका भोग लगाएं. उनके भोग में तुलसी का पत्ता जरूर डालना चाहिए. इसके बाद भगवान श्रीकृष्ण की घी के दीपक और धूपबत्ती से आरती उतारें.

जानिए, जन्माष्टमी का शुभ मुहूर्त

  • श्रीकृष्ण जन्माष्टमी तिथि 30 अगस्त 2021 दिन सोमवार
  • अष्टमी तिथि प्रारंभ 29 अगस्त 2021 रात 11:25 बजे पर
  • अष्टमी तिथि समापन 31 अगस्त 2021 सुबह 01:59 बजे पर
  • रोहिणी नक्षत्र प्रारंभ 30 अगस्त 2021 सुबह 06:39 बजे पर
  • रोहिणी नक्षत्र समापन 31 अगस्त 2021 सुबह 09:44 बजे पर
  • निशीथ काल 30 अगस्त रात 11:59 से लेकर सुबह 12:44 बजे तक
  • अभिजित मुहूर्त सुबह 11:56 से लेकर रात 12:47 बजे तक
  • गोधूलि मुहूर्त शाम 06:32 से लेकर शाम 06:56 बजे तक
  • श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर बन रहे ये शुभ योग

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